NASA: अंधकार युग की जानकारी देगा चंद्रमा से नासा का टेलीस्कोप
हमारे वैज्ञनिकों को पृथ्वी (Earth) से बाहर की दुनिया के बारे में हबल टेलीस्कोप से बहुत जानकारी मिल रही है
हमारे वैज्ञनिकों को पृथ्वी (Earth) से बाहर की दुनिया के बारे में हबल टेलीस्कोप से बहुत जानकारी मिल रही है. हबल ने क्वेसार से लेकर ब्लैकहोल जैसे कई रहस्यमयी पिंडों के बारे में बहुत सी बातें पता लगाने में मदद की है. लेकिन अब वैज्ञानिक ने नए टेलीस्कोप पर काम कर रहे हैं जो चंद्रमा पर प्रतिस्थापित किया जाएगा. यह टेलीस्कोप ब्रह्माण्ड के अंधकार युग के बारे में भी जानकारी दे सकेगा.
चंद्रमा के क्रेटर पर स्थापित होगा ये
अमेरिकी वैज्ञानिक लूनार क्रेटर रेडियो टेलीस्कोप (LCRT) विकसित करने की तैयारी में हैं. जो पृथ्वी की वायुमंडलीय व्यवधानों से सुदूर अंतरिक्ष से आने वाली तरंगों का अध्ययन कर सकेगा. इसे चंद्रमा के किसी क्रेटर में स्थापित किया जाएगा. यह अभियान केवल अवधारणा के स्तर पर है लेकिन नासा के इनोवेटिव एडवांस कॉन्सेप्ट कार्यक्रम के तहत इसके फेज दो के काम के लिए 5 लाख डॉलर अधीकृत हो चुके हैं.
नजरिया बदल देगा यह टेलीस्कोप
इस टेलीस्कोप के लिए नासा को अभी कोई आधिकारिक स्वीकृति नहीं मिली है, लेकिन वैज्ञानिकों को पूरा विश्वास है कि इस प्रोजेक्ट को ना नहीं कहा जाएगा. उनका मानना है कि यह टेलीस्कोप मानव जाति का ब्रह्माण्ड के प्रति नजरिया बदल कर रख देगा. इस तरह का टेलीस्कोप इससे पहले कभी नहीं उपयोग में लाया गया.
क्या करेगा यह टेलीस्कोप
इस टेलीस्कोप का प्रमुख उद्देश्यों उन बड़ी वेवलेंथ के रोडियो तरंगों का मापना है जो हमारे ब्रह्माण्ड के अंधकार युग में पैदा हुई थीं. इस युग के बारे में कहा जाता है कि यह बिग बैंग की घटना के बाद कुछ करोड़ साल तक समय था जब तक ब्रह्माण्ड में तारों का निर्माण शुरू नहीं हुआ था.
अंधकार युग की जानकारी
नासा के रेडियो खगोलविद जोसेफ लाजियो ने बताया, "जब ब्रह्माण्ड में तारे नहीं थे तब इस अंधकार युग में बहुत सारी हाइड्रोजन मौजूद थी जो पहले बने तारों के लिए कच्चे माल की तरह काम आई. वैज्ञानिक इस अंधकार युग के बारे में बहुत ही कम जानते हैं. जबकि वे बिग बैंग और ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के बारे में दशकों से शोध कर रहे हैं.
डार्क मैटर की भी जानकारी
खगोलविदों को लगता है कि विज्ञान के कुछ बड़े रहस्य इन बड़ी वेवलेंथ वाले रेडियो उत्सर्जन में छिपे हैं जो उस गैस से निकले थे जब वे ब्रह्माण्ड के इस दौर में वहां मौजूद थी. लाजियो का कहना है कि पृथ्वी से बाहर इतने बड़े रेडियो टेलिस्कोप के जरिए हम ऐसी प्रक्रियाओं का पता लगा सकते है जिनसे शुरुआती तारों का निर्माण हुआ और हो सकता है कि इससे डार्क मैटर के बारे में भी कुछ संकेत मिल सकें
चंद्रमा का पिछला हिस्सा क्यों
पृथ्वी पर स्थित रेडियो टेलीस्कोप की अपनी सीमाएं हैं. वे इस रहस्यमयी काल के बारे में पड़ताल नहीं कर सकते हैं क्योंकि पृथ्वी की वायुमडंल में मौजूद आयन बड़ी वेवलेंथ वाली रेडियो तरंगो को प्रतिवर्तित कर देती हैं जिससे रेडियो एस्ट्रोनॉमी में बहुत खलल पड़ता है. इसलिए पृथ्वी तक बहुत ही कम मात्रा में रेडियो तरंगें पहुंच पाती हैं. लेकिन चंद्रमा पर ऐसी सीमाएं नहीं हैं. वहां कोई वायुमंडल नहीं हैं और उसका पिछले हिस्से में पृथ्वी से आने वाली रेडियो तरंगें भी बाधा नहीं डालेंगी.
यह टेलीस्कोप दुनिया के दो बड़े रेडियो टेलीस्कोप से प्रेरित होगा. इनमें एक ची का फाइव हंड्रेड मीटर अपर्चर स्फेरिकल टेलीस्कोप है और दूसरा प्यूएर्टो रिको में 305 मीटर चौड़ी एरेसिबो वेधशाला है. इनमें तीन किलोमीटर चौड़े क्रेटर में एक किलोमीटर चौड़ा एंटीना स्थापित किया गया है.