नासा ने दूसरी दुनिया में लहराया परचम, मंगल पर Ingenuity हेलिकॉप्टर के उड़ान से हासिल की एक और बड़ी सफलता
मंगल पर Ingenuity हेलिकॉप्टर का उड़ान
NASA Ingenuity Successfully Flies on Mars: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (National Aeronautics and Space Administration) ने मंगल ग्रह पर एक और बड़ी सफलता हासिल की है. यहां नासा के छोटे से हेलिकॉप्टर ने सफलतापूर्वक उड़ान भर ली है. Ingenuity नाम का ये हेलिकॉप्टर नासा के परसिवरेंस रोवर के साथ मंगल पर पहुंचा था. यह एक मिनट से थोड़े कम समय तक हवा में रहा है. नासा ने इतिहास रचने वाली इस सफलता को बड़ी उपलब्धि बताया है. एजेंसी का कहना है कि पहली बार ऐसा हुआ है, जब किसी दूसरी दुनिया में एयरक्राफ्ट ने कंट्रोल्ड उड़ान भरी है.
हेलिकॉप्टर के उड़ान भरने की पुष्टि सैटेलाइट के माध्यम से हुई है. जिसने चॉपर का डाटा वापस धरती पर भेजा है. अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि उनका हेलिकॉप्टर आने वाले समय में इसी तरह की और भी उड़ानें भरेगा (Ingenuity Flies on Mars). इनजेनयुटी जब और ऊंची उड़ान भरेगा तो इंजीनियर्स इसकी क्षमता का परीक्षण करेंगे. नासा की जेट प्रोपल्सन लैब में इनजेनयुटी के प्रोजेक्ट मैनेजर मिमि ऑन्ग कहते हैं, 'हम अब कह सकते हैं कि इंसानों ने एक दूसरे ग्रह पर रोटरक्राफ्ट उड़ाया है.'
मंगल पर उड़ान भरना क्यों है कठिन?
लाल ग्रह पर किसी एयरक्राफ्ट का उड़ान भरते रहता उतना भी आसान नहीं है क्योंकि यहां का वातावरण काफी पतला है. जो धरती के वायुमंडल का महज एक फीसदी है. ऐसे में उड़ने के लिए रोटरक्राफ्टर के ब्लेड को काफी जोर लगाना पड़ता है. यही वजह है कि नासा ने इनजेनयुटी हेलिकॉप्टर को तो हल्का बनाया ही था, साथ ही इसके ब्लेडों को भी 2500 चक्कर प्रति मिनट से अधिक घूमने की पावर दी थी. अब नासा को ऐसी उम्मीद है कि इस सफलता से दूसरी दुनिया के बारे में बेहतरी से पता लगाया जा सकेगा.
एक और मिशन को दी है मंजूरी
आने वाले समय में रोवर्स के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है. मंगल ग्रह पर आने के बाद अंतरिक्ष यात्री तक इसका इस्तेमाल कर सकेंगे. नासा ने टाइटन नाम के एक उपग्रह के लिए भी मिशन को पहले से मंजूरी दी हुई है. जो शनि का सबसे बड़ा उपग्रह है. इस मिशन का नाम ड्रैगनफ्लाई (Dragonfly) रखा गया है. यहां हेलिकॉप्टर को साल 2030 के मध्य तक भेजा जा सकता है.