धरती के नजदीक मिला रहस्यमयी तारा, रिसर्च में हुआ हैरान करने वाला खुलासा

वैज्ञानिकों ने दो साल पहले धरती से करीब 1000 प्रकाश वर्ष दूर एक रहस्यमयी ब्लैक होल की खोज की थी

Update: 2022-03-07 08:42 GMT
वैज्ञानिकों ने दो साल पहले धरती से करीब 1000 प्रकाश वर्ष दूर एक रहस्यमयी ब्लैक होल की खोज की थी। धरती के सबसे नजदीक ब्लैक होल मिलने की वजह से वैज्ञानिकों में काफी खुशी थी। लेकिन इसकी जांच के बाद अब वैज्ञानिकों ने हैरान करने वाला खुलासा किया है। जांच में पता चला है जिसे वैज्ञानिक ब्लैक होल समझ रहे थे वह एक वैंपायर तारा है। सबसे हैरान करने वाली बात है कि यह अपने नजदीकी तारों को निगल जाता है।
यूरोपियन साउर्दन ऑब्जर्वेटरी के वैज्ञानिक डाइटरिच बाडे ने बताया था कि यह पृथ्वी के नजदीक सूरज से चार गुना बड़ा एक ब्लैक होल है जिसका सिर्फ दो तारे ही परिक्रमा कर रहे हैं। इसको वैज्ञानिकों ने HR 6819 नाम दिया है तो वहीं इसके नक्षत्र का नाम टेलीस्कोपियम है। टेलीस्कोप से देखने पर यह ब्लैक होल एक चमकने वाले तारे की तरह नजर आएगा और वहां पर एक दूसरे का चक्कर लगा रहे तारे स्थित हैं। आखिर यह इतनी तेजी से क्यों घूम रहा है वैज्ञानिकों ने इसका पता लगा लिया है। इस दौरान उनको इनके बीच एक ब्लैक होल नजर आया।
धरती के नजदीक मिला रहस्यमयी तारा
बेल्जियम के KU Leuven के वैज्ञानिक एबिगेल प्रॉस्ट ने बताया कि जब इस तारे की स्पेक्ट्रोस्कोपी की गई, तो हैरान करने वाली जानकारी सामने आई। जांच के पहले हम इस तारे को ब्लैक होल समझ रहे थे। वहां पर स्थित दोनों तारे ब्लैक होल के चारों ओर अलग-अलग कक्षाओं में परिक्रमा कर रहे हैं। जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि यह एक वैंपायर तारा है कोई ब्लैक होल नहीं है।
उन्होंने बताया है कि वहां से आ रही रोशनी के बारे में रिसर्च किया तो जानकारी सामने आई कि यह बड़ा तारा वैंपायर बन चुका है जो अपने आस-पास के तारों को खा जा रहा है और उनको न्यूट्रॉन स्टार में बदल दे रहा है। वैज्ञानिक एबिगेल प्रॉस्ट ने बताया कि न्यूट्रॉन स्टार बनने की प्रक्रिया और उससे निकल रहीं गुरुत्वाकर्षण लहरों की गणना की जा रही है।
वैज्ञानिक का कहना है कि HR 6819 अपने विकास के शुरुआती चरण में है। उन्होंने कहा कि दोनों तारों के बीच के संबंध को देखकर हम हैरत में पड़ गए हैं। इस खोज के बाद कई नई बातें सामने निकलकर आई हैं। एबिगेल प्रॉस्ट के मुताबिक, अब तक तारों के विकास और उनकी उत्पत्ति को लेकर जो जानकारी हमारे पास थी उसे यह पूरी तरह से बदल रहा है। एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स जर्नल में यह स्टडी प्रकाशित की गई है।
एक दूसरे वैज्ञानिक ने दो साल पहले बताया था कि यह ब्लैक होल 60 किलोमीटर प्रति सेकंड से घूम रहा है और यह सूरज से पांच गुना ज्यादा वजनी है। उन्होंने बताया था कि पहली बार कोई ब्लैक होल अंधेरे में मिला है जो बेहद खतरनाक है। लेकिन इस बार रिसर्च में पता चला है कि यह एक तारा है जो दूसरे तारों को खा रहा है।
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