जानिए कितना खास है नासा का नया लैंडसैट 9 उपग्रह, देखें तस्वीरें

आम लोगों को लगता है कि नासा (NASA) के अभियान अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए ही होते हैं

Update: 2021-09-28 14:07 GMT

आम लोगों को लगता है कि नासा (NASA) के अभियान अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए ही होते हैं. यह सच है कि अमेरिका के सभी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचाने का काम नासा का ही रहा है, लेकिन नासा के खुद के बहुत से अभियान भी पृथ्वी (Earth) के अवलोकन के लिए होते हैं. सोमवार को नासा ने एक शक्तिशाली और उन्नत सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा है जिसका काम पृथ्वी की निगरानी करना है. लैंडसैट 9 (Landsat 9) का काम अंतरिक्ष में पहुंच कर अपने सहयोगी सैटेलाइट लैंडसैट 8 की मदद करना है. दोनों ही सैटेलाइट मिलकर नासा के लिए तस्वीरें लेंगे. 


इन तस्वीरों की मदद से, जो दोनों सैटेलाइट (Satellite) हर 8 दिन में पृथ्वी (Earth) का चक्कर लगाते हुए लेंगे, पृथ्वी की सेहत की निगरानी रखी जाएगी और साथ ही लोग पृथ्वी के जरूरी स्रोतों, जैसे कृषि, सिंचाई, जल संसाधन, वन, आदि का समुचित उपयोग कर सकेंगे. सैटेलाइट इन आठ दिनों तक हर 99 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर और हर दिन 14 चक्कर लगाकर ग्रह की तस्वीरें जमा करेंगे. ये तस्वीरें उस आंकड़ा समूहों में जोड़ दी जाएंगी जो लोगों के लिए 50 साल से मुफ्त में उपलब्ध है. नासा (NASA) का कहना है कि मध्यम विभेदन तस्वीरों की क्षमताएं शोधकर्ताओं का मानवीय गतिविधियों के संकेतों की पहचान करने और उनके पृथ्वी पर प्रभावों को जानने में मदद करेंगी.


लैंडसैट 9 एक विकसित तकनीक का उन्नत सैटेलाइट है जो अपनी श्रृंखला का नौंवा सैटेलाइट है. इसका संचालन नासा (NASA) का गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर करेगा और इसमें दो उपकरण लगे हैं. ऑपरेशनल लैंड इमेजर 2 (OLI-2) पृथ्वी पर दिखाई देने वाली, नियर इन्फ्रारेड और शॉर्टवेव इन्फ्रारेड प्रकाश वाली तस्वीरों को लेगा. वहीं थर्मल इन्फ्रारेड सेंसर 2 (TIRS-2) पृथ्वी (Earth) के सतह के भूभागों के तापमान का अध्ययन करेगा. 


लैंडसेट 9 नासा (NASA) और अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग का संयुक्त अभियान है, जो पिछले पांच दशकों से पृथ्वी (Earth) की प्रक्रियाओं और उनके बहुत सारे बदलावों को समझने में मदद कर रहा है. लैंडसैट सीरीज ने अंटार्कटिका के ग्लेशियरों की गति, कृषि में उपयोग लाए गए पानी की मात्रा, अमेजन के जंगलों में वनों की कटाई जैसे बहुत से बदलावों को मापा है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्राजील सहित दुनिया के कई देशों के जंगलों की आग की स्थिति की निगरानी भी की है.


फिलहाल नासा (NASA) के लैंडसैट 7 और लैंडसैट 8 उपग्रह काम कर रहे हैं और उनकी कक्षा का स्वरूप हर 16 दिन का है, जिससे पृथ्वी (Earth) के हर जगह की तस्वीर हर 8 दिन में ली जाती है. नासा का कहना है कि लैंडसैट के उपकरण पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए एक बार में 185 किलोमीटर लंबे हिस्से की तस्वीर लेते हैं. इसकी हर पिक्सल 30 मीटर बड़ी होती है. जो एक बेसबाल के मैदान के या एक अमेरिकी खेत के बराबर होता है. 

नासा (NASA) ने पहला लैंडसैट साल 1972 में लॉन्च किया था जिसका नाम अर्थ रिसोर्स टेक्नोलॉजी सैटेलाइट (ERTS) जिसने पृथ्वी (Earth) की 80 लाख तस्वीरें खींची थीं. नासा का कहना है कि इन सैटेलाइट से वैज्ञानिकों को बदलती पृथ्वी का वैश्विक परिदृश्य दिखता है. यह बदलाव भूकंप जैसे प्राकृतिक कारणों या फिर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन वाले मानव जनित कारणों की वजह से आए हो सकते हैं जिनसे वैश्विक स्तर पर गर्मी और तापमान बढ़ रहे हैं. 
इस समय पृथ्वी जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के खतरनाक दुष्प्रभावों को झेल रही है. इसके और ज्यादा नुकासान को रोकने के लिए दुनिया के तमाम देश माथा पच्ची कर रहे हैं. अंतरिक्ष से अवलोकन विकास का एक बेहतर दृश्य खोजने में मदद कर सकता है. इसके अलावा मुफ्त की जानकारी कई देशों को अपने कृषि संसाधनों (Agriculture Resourses) के बेहतर उपयोग में सहयोगी साबित होगा. नासा (NASA) का कहना है कि सैटेलाइट की जानकारी से किसानों को भी बेहतर और उपयोगी फसल का फैसला करने में सहायक सिद्ध हुई है.


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