जानिए कैसे बने थे पृथ्वी और मंगल जैसे ग्रह, पढ़े पूरा विस्तार से
पृथ्वी और मंगल के निर्माण के पदार्थ शुरुआती सौरमंडल (Solar System) में कहां से आए थे
पृथ्वी (Earth) और मंगल (Mars) के निर्माण के पदार्थ शुरुआती सौरमंडल (Solar System) में कहां से आए थे.पृथ्वी (Earth) और मंगल (Mars) के निर्माण के पदार्थ शुरुआती सौरमंडल (Solar System) में कहां से आए थे.इस बड़े सवाल का जबाव पाने के लिए शोधकर्ताओं ने दोनों ग्रहों की संरचनाओं की तुलना उल्कापिडों से कर यह जानने का प्रयास किया कि उनके निर्माण की सामग्री कहां से आई थी. उन्होंने दो अलग अलग तरहके उल्कापिंडों को अध्ययन में शामिल किया जिनमें से एक सौरमंडल के अंदरूनी हिस्से और दूसरा बाहरी हिस्से का था. शोधकर्ताओं ने पाया कि इन ग्रहों के निर्माण की अधिकांश सामग्री सौरमंडल के आंतरिक हिस्से से आई थी.
पृथ्वी (Earth) और मंगल (Mars) जैसे ग्रहों की उत्पत्ति सौरमंडल (Solar System) के बाहरी ग्रहों से बहुत अलग तरह से हुई है. लेकिन कैसे इस बात के बारे में वैज्ञानिक काफी कुछ नहीं जानते है. नए अध्ययन में इस दिशा में नई जानकारियां प्रदान करने का काम किया है. जर्मनी की मुन्स्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की अगुआई में हुए अध्ययन में इस बारे में पड़ताल की है. उन्होंने पाया है कि पृथ्वी और मंगल जिन पदार्थों से बने हैं उनमें से अधिकांश सौरमंडल के आंतरिक हिस्से के पदार्थों से बने हैं, जबकि उसमें से केवल कुछ ही हिस्सा गुरु ग्रह की कक्षा के बाहर आया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
इस अध्ययन में अब तक पृथ्वी (Earth), मंगल (Mars), और सौरमंडल (Solar System) के आंतरिक और बाह्य हिस्सों के पुरातन ग्रह निर्माण सामग्री की आइसोटोप के लिहाज से सबसे विस्तृत तुलना की है.इनमें से कुछ पदार्थ आज भी उल्कापिंडों में सुरक्षित और अपरिवर्तित रूप में मिलता है. साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के नतीजे हमारे सौरमंडल के बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह की निर्माण प्रक्रियाओं के समझ पर दूरगामी प्रभाव डाल सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
इससे वह धारणा कमजोर होती दिख रही है जिसके मुताबिक ये चार पथरीले ग्रह सौरमंडल (Solar System) के बाहर की महीन धूल के कणों से मिल कर बने थे. सौरमंडल के ग्रहों के निर्माण के बारे में दो तरह के मत है. पुराने मत के अनुसार सौरमंडल के आंतरिक हिस्से में धूल के कण (Dust particles) धीरे धीरे बड़ी मात्रा में जमा हुए और उनके टकराव से अंततः चार ग्रहों का निर्माण हुआ.वहीं नए सिद्धांत का कहना है कि मिलीमीटर के आकार के टुकड़े सौरमंडल के बाहरी हिस्से से सूर्य (Sun) की ओर आने लगे और रास्ते में वे बढ़ कर नवजात ग्रह का आकार लेकर सौरमंडल के अंदरूनी हिस्से में पहुंच गए और बड़े होते होते आज के आकर के हो गए. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
दोनों ही मत सैद्धांतिक मॉडल्स और कम्प्यूटर सिम्यूलेशन के आधार पर है जो शुरुआती सौरमंडल (Solar System) के हालात और गतिकी (Dynamics) के आधार पर बनाए गए थे. दोनों में से ग्रह निर्माण का सही रास्ता कौन सा था, इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए शोधकर्ताओं ने पृथ्वी (Earth) और मंगल (Mars) ग्रहों की संरचना का सटीक निर्धारण किया. इस अध्ययन के प्रथम लेखक डॉ क्रिस्टोफ बर्कहार्ट ने बताया कि टीम जानना चाहती कि क्या पृथ्वी और मंगल के निर्माण तत्व सौरमंडल के अंदर से आए थे या फिर बाहर से. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
इसके लिए शोधकर्ताओं को पृथ्वी पर टाइटेनियम और जिरकॉनियम जैसी दुर्लभ धातुओं (Rare metals) के आइसोटोप से मदद मिली. ये पदार्थ ग्रहों (Planets) की बाहरी परत पर मिले हैं, जहां सिलिकेट की प्रचुरता है. आइसोटोप वे तत्व होते हैं जिनका आणविक भार अलग अलग होता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि शुरुआती सौरमंडल में ये दुर्लभ और दूसरे धातु के आइसोटोप की प्रचुरता सूर्य से दूरी पर निर्भर करती थी. इसलिए ये आइसोटोप कुछ पिंडों के निर्माण तत्व की उत्पत्ति की जानकारी रखते हैं. इसके लिए शोधकर्ताओं ने दो तरह के उल्का पिंडों (Meteorites) का अध्ययन किया जो क्षुद्रग्रह की पट्टी में मिलते हैं. एक थे कार्बन युक्त कॉन्ड्राइट्स और दूसरे कार्बन विहीन कॉन्ड्रॉइट्स (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
अभी तक पृथ्वी (Earth) की संरचना का अध्ययन तो किया गया, लेकिन मंगल (Mars) की चट्टानों का इस नजरिए से अध्ययन नहीं किया जा सका था. शोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह के 17 उल्कापिंडों का अध्ययन किया, जिनसे छह प्रकार के मंगल ग्रह की चट्टानें बनी हैं. इसमें तीन प्रचुर धातुओं की आइसोटोप का भी अध्ययन किया. शोधकर्ताओं ने इन उल्कापिंडों में बहुत ही कम मात्रा में टाइटेनियम, जिरकोनियम और मोलिबडेनियम जैसी दुर्लभ धातुओं के आइसोटोप पाए. शोधकर्ताओं के अध्ययन से पता चला कि पृथ्वी और मंगल की बाहरी परतों में बाहरी सौरमंडल (Solar System) की कार्बन वाले कॉन्ड्रॉइट्स में कम समानता है और वे इनके निर्माण के तत्वों का केवल चार प्रतिशत हिस्सा हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि पृथ्वी (Earth) और मंगल (Mars) ग्रह बाहरी सौरमंडल (Solar System) की धूल के कणों से प्रमुख रूप से बने होते, तो दुर्लभ धातुओं के आइसोटोप का प्रतिशत कहीं ज्यादा होता. लेकिन समस्या यह है कि पृथ्वी और मंगल की संरचना गैर कार्बन कॉन्ड्राइटस से भी मिलती नहीं हैं. कम्प्यूटर सिम्यूलेशन सुझाते हैं कि यहां दूसरे तरह का निर्माण पदार्थ की भूमिका थी. यह भी पता चलता है कि तीसरे तरह का निर्माण पदार्थ सौरमंडल के अंदरूनी हिस्से का ही था. यानि दोनों ग्रह के निर्माण का अधिकांश हिस्सा सौरमंडल के आंतरिक हिस्से के पदार्थों स ही बना था.