जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ब्लैक होल (Black Hole) ब्रह्माण्ड (Universe) के सबसे रोचक पिंडों में से एक हैं. शुरू से ही उनके बारे में बताया गया था कि वे ऐसे पिंड होते हैं जो प्रकाश सहित सभी कुछ अपने अंदर खींचने की क्षमता रखते हैं. तभी से उनको लेकर कौतूहल पैदा हो गया था. उनके बारे में जानना बहुत मुश्किल होता है. खगलोविदों ने ऐसे बहुत से स्थान देखे हैं जहां पास के तारे और अन्य पदार्थ ब्लैक होल की ओर जा रहे हैं. लेकिन क्या ब्लैक होल हमारी पृथ्वी (Earth) पर भी कोई असर डाल सकेंगे. आइए जानने का प्रयास करते हैं कि इस बारे में क्या कहता है विज्ञान?
ब्लैक होल और गुरुत्व
सबसे पहले हम यह जानते हैं कि आखिर ब्लैक होल हैं क्या और ये इतने खतरनाक क्यों माने जाते है. ब्लैक होल की शक्ति उनके छोटे आकार में समाया हुआ बहुत ही ज्यादा भार है जिससे उनमें एक शक्तिशाली गुरुत्व आ जाता है जिससे वे आसपास के प्रकाश तक को खींचने में सक्षम हो जाते हैं.
घटना क्षितिज
इस गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण ही इसके पास पहुंचने से हर पदार्थ इसके अंदर समाने लगता है. और यदि वह पदार्थ प्रकाश की गति से भी तेज होकर ब्लैक होल से निकलने का प्रयास करे तो भी बाहर नहीं निकल सकता है. वह सीमा जहां से आगे जाकर वापस बाहर आना नामुमकिन हो जाता है, उसे ही घटना क्षितिज या इवेंट होराइजन (Event Horizon) कहते हैं.
स्पैगटिफिकेशन प्रक्रिया
ब्लैक होल को खतरनाक या घातक होने की एक और वजह है उसकी स्पैगटिफिकेशन प्रक्रिया. इसमें जब भी कोई वस्तु घटना क्षितिज को पार कर रही होती है तो वह सेवइंया के आटे की तरह खिंचकर बिखने लगती है और टूटने लगती है. ऐसा उन तारों के साथ भी होता है जिसे ब्लैक होल निगल रहा है.
Space, Earth, Blck Hole, Event Horizon, spaghettification, V616 Monocerotis, A0620-00,ब्लैक होल (Black Hole) के आसपास के पदार्थ उसके गुरुत्व के प्रभाव से उसके अंदर गिरते रहते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
ज्वारीय बल
इसमें ब्लैक होल के पास वाला हिस्सा ज्यादा मजबूती और तेजी से अंदर खिंचता है. वहीं जो हिस्सा ब्लैक होल से दूर होता है उसमें पास की तुलना में बल कुछ कमजोर होता है. गुरुत्व के खिंचाव के इस अंतर, जिसे ज्वारीय बल कहते हैं, जिसकी वजह से तारा टूटने लगता है. इसी तरह का प्रभाव स्पैगटी बनाने के दौरान भी दिखाई देता है. इसीलिए इस परिघटना का नाम स्पैगटिफिकेशन पड़ा.
ज्वारीय व्यवधान
इस तरह के अवलोकन खगोलविदों ने दूसरी गैलेक्सी में भी होते देखे हैं. इस प्रक्रिया का तकनीकी नाम ज्वारीय व्यवधान घटना कहा जाता है. जबकि इसमें केवल तारा ब्लैक होल के बहुत नजदीक पहुंच कर टूट गया था. लेकिन क्या ये सभी प्रक्रियाएं इतनी प्रभावी हैं कि कभी कभी वे पृथ्वी ब्लैक होल में समा जाएगा.
Space, Earth, Black Hole, Event Horizon, spaghettification, V616 Monocerotis, A0620-00,ब्लैक होल (Black Hole) के प्रभाव में आने के लिए उसके पास होना जरूरी है, लेकिन पृथ्वी से दूर दूर तक कोई ब्लैक होल स्थित नहीं है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
सबसे पास के ब्लैक की दूरी
लेकिन ऐसा होने के लिए उपरोक्त प्रक्रियाओं के अलावा एक और अहम बात होना जरूरी है वह है ब्लैक होल से दूरी. फिलहाल जो ब्लैक होल हमारे सबसे निकट है उसकी ही दूरी बहुत ज्यादा है. यानि पृथ्वी के पास ऐसा कोई भी ब्लैक होल नहीं है जो उसे प्रभावित कर सके. पृथ्वी के पास निकटतम ब्लैक होल V616 मोनोसेरोटिस है, जिसे A0620-00 भी कहते हैं.
यह ब्लैक हो पृथ्वी 6.6 गुना भारी है. यदि पृथ्वी इसके 8 लाख किलोमीटर के दायरे के अंदर आगई तो ब्लैक होल उसके फाड़ कर टुकड़े टुकड़े कर देगा. लेकिन ऐसा होना संभव ही नहीं है. कम से कम इस अभी पृथ्वी पर जितने लोग जिंदा हैं वे तो अपने जीवन में ऐसा देख ही नहीं सकेंगे. V616 मोनोसेरोटिस पृथ्वी से 3300 प्रकाश वर्ष दूर है.