जीन में कैसे छिपा है इंसान की ताकत और बीमारियों का राज?
जीन डीएनए का एक छोटा-सा हिस्सा होता है. एक व्यक्ति में 30-40 हजार तक जीन पाए जाते हैं
जीन डीएनए का एक छोटा-सा हिस्सा होता है. एक व्यक्ति में 30-40 हजार तक जीन पाए जाते हैं. किसी भी व्यक्ति (जीन) की बुद्धि, शारीरिक बनावट, आंखों-बालों का रंग उसके जीन पर निर्भर करती है. जीन आनुवांशिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने का काम करते हैं. ये हर व्यक्ति की आनुवांशिक खासियतों के बारे में जानकारी रखते हैं. किसी व्यक्ति के जीन्स को समझकर उसकी बीमारियों का अंदाजा भी लगाया जा सकता है.
IQ टेस्ट और जीन का संबंध
आई क्यू टेस्ट से किसी भी व्यक्ति की बुद्धि के कौशल को आंका जाता है. अगर आपको भी लगता है कि आपका 80 फीसदी आई क्यू जीन द्वारा निर्धारित किया जाता है, तो इसका जवाब नहीं है. 2011 में ऑक्सफोर्ड के एक शोध में कहा गया था कि जीन बोलचाल और भाषा में सहायक होता है.
एक जीन मस्तिष्क में उपस्थित न्यूरॉनों के नेटवर्क को नियंत्रित करता है. एसएनएफ-2 नाम का जीन दिमाग के कंट्रोल सेंटर सेरेबलम के सही विकास के लिए जिम्मेदार होता है. यह जीन मस्तिष्क की तंत्रिका में पाया जाता है और सेरेबलम हिस्से से दिमाग इंसान द्वारा की जाने वील क्रियाओं को नियंत्रित करता है. कह सकते हैं कि यह एक तरह से मास्टर कंट्रोलर का काम करता है.
जीन एडिटिंग
विज्ञान की मदद से अब इंसानों के जीन में फेरबदल यानी डीएनए में बदलाव की कोशिश की जा रही है. डीएनए में बदलाव के लिए CRISPR-cas9 यंत्र विकसित किया गया है. जीन में बदलाव कर होने वाले बच्चे में मन चाही खूबियां पाई जाने की उम्मीद लगाई गई थी. हालांकि इस अविष्कार का विदेशों में काफी सख्ती से विरोध हुआ.
बूढ़ा करने वाला जीन
फरवरी 2010 में ब्रिटेन के जीव वैज्ञानिकों ने कुछ लोगों के असमय वृद्ध होने के लिए जिम्मेदार विशेष आनुवांशिक विभिन्नताओं को खोजा था. वैज्ञानिकों ने आनुवांशिक विभिन्नता वाली पांच लाख से अधिक मानवीय जीन संरचनाओं का अध्ययन कर पाया था, जिन लोगों में टीईआरसी जीन होते हैं वे लोग सम्भवतः अन्य के मुकाबले तीन से चार वर्ष पहले वृद्ध हो जाते हैं.
लोग दो तरह से वृद्ध होते हैं. पहला क्रमवार बुढ़ापा यानी जिसे हम एक से 100 तक सालों के क्रम में गिनते हैं और दूसरा जैविक बुढ़ापा, जिसमें कुछ लोगों की कोशिकाएं उनके क्रमवार आयु के मुकाबले पुरानी या नई हैं.
जीन थेरेपी से दृष्टिहीनता का इलाज
जीन थेरेपी में किसी भी व्यक्ति के जीन को समझकर उसे होने वाली बीमारियों के बारे में समझा जा सकता है. जीन थेरेपी ज्यादातर असाध्य व भयावह बीमारियों के इलाज के लिए की जाती हैं. पिछले साल दिसंबर 2017 में अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने पहली बार बच्चों व वयस्क मरीजों के आनुवांशिक दृष्टिहीनता के इलाज की नई जीन थेरेपी को मंजूरी दी थी.
इस जीन थेरेपी को लुक्सर्टना (वोरेटीजीन नेपरवोवेक-रजिल) कहते हैं. इसके जरिए रेटीना की विकृति को सही किया जाता है, जो खास आनुवांशिक उत्परिवर्तन की वजह से होता है. यह पहली जीन थेरेपी थी, जिसके तहत अमेरिका में आनुवांशिक बीमारी के इलाज की मंजूरी दी गई थी.
जीन थेरेपी से कैंसर के इलाज में मदद
जीन थेरेपी में आनुवांशिक बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है. इसमें खराब जीन्स को मरम्मत वाले जीनों से बदला जाता है. नवंबर 2016 में अमेरिकी वैज्ञानिकों जीन थेरेपी की मदद से कैंसर कोशिकाओं के विकास को कम करने का दावा किया था. लेकिन इससे जीन की लंबी समय तक काम करने और सुरक्षा के मुद्दे पर क्रियाविधि में कठिनाई आती है. रिसर्चर्स को उम्मीद थी कि यह थेरेपी नैदानिक परीक्षण के लिए पांच सालों के भीतर तैयार हो जाएगी.