ऊर्जा आपूर्ति के लिए खतरा कैसे बन रहा है जलवायु संकट? जानें क्या है वैज्ञानिकों का कहना
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जीवाश्म ईंधन जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का प्रमुख मानवीय कारक हैं. मानव जनित अन्य गतिविधियां (Human Activity) भी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु संबंधी अन्य समस्याओं को जन्म दे रहे हैं लेकिन क्या इसका विपरीत असर भी देखा जा सकता है, यानि क्या जलवायु परिवर्तन का असर ऊर्जा स्रोतों या फिर ऊर्जा आपूर्ति पर भी हो सकता है. कई घटनाएं ऐसी होने लगी हैं जो साफ तौर से दर्शाती हैं कि जलवायु परिवर्तन का विपरीत असर अब ऊर्जा आपूर्ति पर भी होने लगा है. इनमें जीवाश्म ईंधन, परमाणु ऊर्जा, सौरऊर्जा, पवन ऊर्जा भी शामिल हैं. ऊर्जा के उत्पादन, उसके परिवहन, भंडारण, स्थायित्व और यहां तक कि उत्पादन प्रक्रियाएं तक जलवायु से प्रभावित हो रही हैं.
जीवाश्म ऊर्जा को नुकसान की बढ़ती घटनाएं
कई घटनाओं में देखने में आ रहा है कि परम्परागत ऊर्जा यानि जीवाश्म ऊर्जा तक पर जलवायु का असर हो रहा है. दक्षिण अमेरिकी देश इक्वाडोर में इसी साल हुआ भारी वर्षा के कारम अमेजन इलाके से गुजर रही पाइपलाइन को भारी नुकसान हुआ जिससे हजारों लीटर तेल लीक हो गया और आसपास की मिट्टी में मिल गया. यह घटना पर्यावरण के नजरिए से तो नुकसानदायक है ही, इसका असर परंपरागत ऊर्जा की उपलब्धता पर भी बहुत ज्यादा पड़ा है.
चरम मौसमी घटनाएं
इस मामले में सबसे ज्यादा जोखिम तेल और गैस ऊर्जा को हो रहा है. हाल ही में तेल की दुर्घटनाएं इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि यह ऊर्जा स्रोत ही चरम मौसमी घटनाओं का शिकार है. भीषण गर्मियों में कई परमाणु ऊर्जा संयंत्र भी इसलिए बंद करने पड़ रहे हैं क्योंकि उनमें कूलेंट की तरह उपयोग में लाया जाने वाला पानी बहुत गर्म हो रहा है.
कई तरह की घटनाएं
फ्रांस को 2018 की गर्मियों में चार परमाणु संयंत्र बंद करने पड़े ते. जर्मनी में भी इसी वजह से एक संयंत्र बंद हुआ. समुद्र के किनारे रहने वाले संयंत्रों को बढ़ते जलस्तर से खतरा है. जापान का फुकोशिमा संयंत्र तो सुनामी की वजह से बंद हुआ था. नदियों के घटते जलस्तर के कारण वहां से तेल परिवहन बुरी तरह से प्रभावित होने लगा है.
Climate Change, Environment, Global Warming, Energy, Solar Energy, Wind Energy, Fossil Fuel, Thermal Energy, Nuclear Energy, extreme weather eventsआंधी तूफान सौर पैनल (Solar Panel) को भारी नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
जलविद्युत योजनाएं भी चपेट में
जलवायु परिवर्तन बड़ा असर जलविद्युत योजनाओं पर बहुत बुरा पड़ रहा है. बढ़ती गर्मी जलाशय सोख रही है नदियों में भी पानी की बहाव कम हो रहा है इसका सीधा असह जलविद्युत परियोजनाओं की क्षमता पर हो रहा है. लैटिन अमेरिकी देशों में तो इसकी वजह से प्राकृतिक गैस की मांग बहुत बढ़ गई है जिसने वैश्विक गैस आपूर्ति संतुलन को बिगाड़ दिया है.
कोयला भी प्रभावित
इंडोनेशिया में भारी बारिश और बाढ़, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में तेज तूफान, चीन में अनियमित बाढ़ के कारण कोयला का उत्खनन प्रभावित हुआ है. इससे कोयले के दाम बढ़ने लगे हैं. माना जाता है कि जीवाश्म ईंधन की तुलना में बिजली पैदा करने वाले सौर और पवन ऊर्जा संयंत्र जलवायु परिवर्तन के कम शिकार हुए हैं. खास तौर पर उनके विकेंद्रीकरण से उन्हें कम नुकसान पहुंचता है.
Climate Change, Environment, Global Warming, Energy, Solar Energy, Wind Energy, Fossil Fuel, Thermal Energy, Nuclear Energy, extreme weather eventsतूफान और भारी बारिश के कारण बिजली (Electricity) के खंभो और तारों के टूटने से भी कम नुकसान नहीं होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
सौर और पवन ऊर्जा भी
लेकिन पवन ऊर्जा भी जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से पूरी तरह से मुक्त हैं ऐसा भी नहीं है. भीषण आंधी तूफान सौर पैनल और पवन चक्कियों को उखाड़ फेंक रहे हैं. यहां तक की बहुत ही तेज हवा में पवन चक्कियां और विंड फार्म भी बंद करने पड़ते है. अनियमित बारिश सौर ऊर्जा की क्षमता को प्रभावित कर रही हैं तो वहीं बढ़ती ओलावृष्टि भी सौर पैनलों को स्थायी नुकसान पहुंचा रहे हैं.
तूफानों और तेज बारिश में बिजली के खंभे ज्यादा संख्या में उखड़ने लगे हैं जो रखरखाव को भारी नुकसान पहुंचाता है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण अब हाई वोल्टेज और सामान्य तारों को भी ज्यादा हीट रेजिस्टेंस होने की जरूरत हो रही है ऐसे में उनके बदलने का भी खर्चा पैदा हो रहा है क्योंकि इससे वितरण और अन्य नुकसान भी होते हैं. इन सभी बदलावों के कारण ऊर्जा के स्रोत की आपूर्ति में असंतुलन के कारण ग्रिड के स्थायित्व के खतरे ने मामला और जटिल कर दिया है. इस तरह की चुनौतियां ग्रीन ऊर्जा में भी देखने को मिलेंगी.