कैसे संभाला करते थे विशालकाय डायनासोर अपना शरीर, जानें क्या कहते है वैज्ञानिक

Update: 2022-08-21 06:51 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यह जानना किसी रोमांच से कम नहीं है कि डायनासोर (Dinosaurs) किस तरह का जीवन जिया करते थे. यह लंबे समय से एक रहस्य ही था कि सॉरोपॉड (Sauropods) डायनासोर कैसे अपना विशालकाय शरीर संभालते थे. इनमें बोरोनटोसॉरस (Brontosaurus) और डाइप्लोडोकस (Diplodocus) सबसे प्रमुख उदाहरण हैं. उनका सबसे विशालकाय जानवर हो जाने से उनकी जीवनचर्या से संबधित कई सवाल खड़े हो गए थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Atomazul / shutterstock)

इस गुत्थी को यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीन्सलैंड और मोनाश यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सुलझाया है. उन्होंने पता लगाने में सफलता हासिल की है कि कैसे सॉरोपॉड (Sauropods) जैसे विशालकाय जानवर (Animals) जिंदा रहते हुए अपना शरीर संभाला करते थे. वैज्ञानिकों ने डायनासोर (Dinosaurs) इस बहुत पुराने रहस्य को थ्रीडी मॉडलिंग और इंजीनियरिंग पद्धतियों का उपयोग कर सुलझाने में सफलता हासिल की है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
शोधकर्ताओं ने कई सॉरोपॉड (Sauropods) डायनासोर के जीवाशमों (Fossils) का डिजिटल परीक्षण (Digital Examinatins) किया और उनके पैरों की हड्डियों के कार्यों का पुनर्निर्माण किया. उनके अध्ययन की रिपोर्टे के नतीजे साइंस एडवांसेस में प्रकाशित हुए हैं. यूनिवर्सटी ऑफ क्वीन्सलैंड डायनासोर लैब में पीएचडी करने के दौरान एन्ड्रियास जेनल ने यह शोध किया था. उनकी टीम ने पाया कि सॉरोपॉड के पैर की विशेष तरह की संरचना हुआ करती थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
जेनल और उनकी टीम ने पाया है कि सॉरोपॉड (Sauropods) के पैर में एड़ी के नीचे एक नर्म गद्देदार ऊतकों का एक पैड हुआ करता था. जिस तरह से डायनासोर (Dinosaurs) अपने शरीर को संभालते थे उनके पैर एक तरह से पैड या गद्दे की तरह काम करने लगे थे. उनका बहुत सारा शारीरिक वजन (Body Mass) पैरों के ये पैड अवशोषित कर लेते थे जिससे उन्हें चलने फिरने में कोई परेशानी नहीं होती थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

इस तथ्य के सामने आने के पहली ही यह पहेली काफी चर्चित हो चुकी थी कि कैसे धरती पर डायनासोर (Dinosaurs) की सबसे विशाल प्रजातियां अपना भारीभरकम शरीर संभालते थे. वास्तव में शुरु में तो यह भी माना जाता था कि सॉरोपॉड (Sauropods) सेमी एक्वाटिक डायनासोर की प्रजाति थे जो पानी और जमीन दोनों पर रहते थे जहं पानी में उत्प्लावन (Boyancy) के प्रभाव से उन्हें अपना भीमकाय वजन संभालने में मदद मिलती थी. लेकिन बाद में इस सिद्धांत को खारिज कर दिया गया जब जमीन पर उनके जीवाश्म निक्षेप ज्यादा मिले. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

पिछले कुछ दशकों से जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के भीषण प्रभाव देखने को मिल रहे हैं. बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) की वजह से लंबे सूखे, भारी विनाशकारी बारिश जैसी चरम मौसमी घटनाएं ज्यादा संख्या में देखने को मिल रही है और वैज्ञानिकों का मानना है कि हालात इससे भी बदतर होने वाले हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पारिस्थितिकी तंत्र इन पर कैसे प्रतिक्रिया देगा. इस सवाल के आधार पर नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह जानने का प्रयास किया है कि कौन से जानवर (Animals) होंगे जो जलवायु परिवर्तन से सबसे अच्छे से निपटते हुए खुद को बचाए रख पाएंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
साउदर्न डेनमार्क यूनिवर्सिटी और ओस्लो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन ईलाइफ में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के 157 स्तनपायी जानवरों (Mammals) की जन्संख्या के बदलावों के आकंड़ों का विश्लेषण किया और उसकी तुलना दुनिया के मौसम और जलवायु के आंकड़ों से की. हर प्रजाति के 10 से ज्यादा साल के आंकड़े थे. इस अध्ययन शोधकर्ताओं का यह जानने का मौका मिला कि कैसे जानवरों (Animals) की प्रजातियां चरम मौसम का सामना करती हैं और उनकी संख्या और प्रजानन स्वरूपों (Reproduction Patterns) में क्या बदलाव आते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें साफ पैटर्न देखने को मिले. लंबे समय तक जीने वाले जानवर (Animals) और जिनके कम बच्चे थे वे चरम मौसम (Extreme Weather) के प्रति ज्यादा कमजोर नहीं साबित हुए जबकि कम समय तक जीवित रहने वाले और जिनके ज्यादा बच्चे थे उनमें चरम मौसम के ज्यादा प्रभाव देखने को मिले. इसमें पहले समूह में लामा, लंबा जीवन जीने वाले चमगादड़, हाथी (Elephants) तो दूसरे समूह में चूहे, पोसम, धानी प्राणी जैसै जीव शामिल हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)शोधकर्ताओं ने पाया कि अफ्रीका के हाथी (African Elephants), साइबेराई शेर (Siberian Tiger), चिम्पांजी, होर्सशू बैट, लामा, सफेद गैंडे, भालू, अमेरिकी भैसा, आदि चरम मौसमी घटनाओं (Extreme Weather) से ज्यादा प्रभावित नहीं होते हैं जबकि वहीं अजारा घास के चूहे (Mice), ओलिव घास के चूहे, कनाडाई लेमिंग, आर्कटिक लोमड़ी, आर्कटिक जमीनी गिलहरी आदि पर चरम मौसम का ज्यादा दुष्प्रभाव देखने को मिलता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

 
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