सार्स-कोव-2 वायरस से कैसे होता है हृदय को नुकसान, अध्ययन में हुआ खुलासा

अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 से पीड़ित लोगों में संक्रमण के बाद कम से कम एक साल तक हृदय की मांसपेशियों में सूजन, हृदय के असामान्य रूप से धड़कने, रक्त के थक्के, स्ट्रोक, दिल के दौरे और हृदय गति रुकने का काफी अधिक जोखिम रहता है।

Update: 2022-11-10 03:11 GMT

अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 से पीड़ित लोगों में संक्रमण के बाद कम से कम एक साल तक हृदय की मांसपेशियों में सूजन, हृदय के असामान्य रूप से धड़कने, रक्त के थक्के, स्ट्रोक, दिल के दौरे और हृदय गति रुकने का काफी अधिक जोखिम रहता है।

अमेरिका के मैरीलैंड विश्वविद्यालय, बाल्टीमोर के वैज्ञानिकों ने हृदय पर सार्स-कोव-2 वायरस प्रोटीन के विषाक्त प्रभाव को उलटने के लिए एक दवा का इस्तेमाल किया।

संबंधित अध्ययन रिपोर्ट के वरिष्ठ लेखक जे हान ने कहा, "हमारे अनुसंधान से पता चलता है कि सार्स-कोव-2 प्रोटीन शरीर में विशिष्ट ऊतकों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं- जैसा कि एचआईवी और जीका जैसे अन्य वायरस के मामले में होता है।"

इस मामले में फल मक्खियों और चूहों की हृदय कोशिकाओं पर किए गए अध्ययन की रिपोर्ट नेचर कम्युनिकेशंस बायलॉजी में प्रकाशित हुई है।

हालांकि दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 बीमारी की गंभीरता को कम करने के लिए तेजी से टीके और दवाएं विकसित कीं, लेकिन अध्ययन में कहा गया है कि ये उपचार हृदय या अन्य अंगों को उस नुकसान से नहीं बचाते हैं जो किसी हल्के संक्रमण से भी हो सकता है।

पिछले साल, हान और उनकी टीम ने फल मक्खियों और मानव कोशिकाओं का उपयोग करके अध्ययन में सबसे जहरीले सार्स-कोव-2 प्रोटीन की पहचान की। अध्ययन के अनुसार, उन्होंने पाया कि दवा 'सेलाइनेक्सर' इन प्रोटीन में से एक की विषाक्तता को कम करती है, लेकिन दूसरे की नहीं, जिसे एनएसपी6 के रूप में जाना जाता है।

अपने नवीनतम अध्ययन में, उन्होंने पाया कि फल मक्खी के हृदय में एनएसपी6 सबसे जहरीला सार्स-कोव-2 प्रोटीन निकला।

इस अध्ययन के अनुसार, अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि एनएसपी6 प्रोटीन ने ग्लाइकोलाइसिस प्रक्रिया को चालू करने के लिए फल मक्खी की कोशिकाओं को उसके दिल में अपहृत कर लिया, जो कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए शर्करा ग्लूकोज को जलाने में सक्षम बनाता है। आमतौर पर, हृदय कोशिकाएं ऊर्जा स्रोत के रूप में फैटी एसिड का उपयोग करती हैं, लेकिन हृदय की विफलता के दौरान शर्करा चयापचय में बदल जाती है क्योंकि ये कोशिकाएं क्षतिग्रस्त ऊतक को ठीक करने का प्रयास करती हैं।

अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी पाया कि एनएसपी6 प्रोटीन ने कोशिकाओं के 'पावरहाउस' कहे जाने वाले माइटोकॉन्ड्रिया को बाधित करके नुकसान पहुंचाया जो शर्करा चयापचय से ऊर्जा पैदा करता है।

इसके बाद टीम ने 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2डीजी) दवा का उपयोग करके फल मक्खियों और चूहों की हृदय कोशिकाओं में शर्करा के चयापचय को अवरुद्ध कर दिया। अध्ययन में कहा गया है कि दवा ने एनएसपी6 प्रोटीन के कारण दिल और माइटोकॉन्ड्रिया को पहुंचने वाली क्षति को कम कर दिया।

हान ने कहा, "हम जानते हैं कि कुछ वायरस कोशिका के ऊर्जा स्रोत को चुराने के लिए अपने चयापचय को बदलने के लिए संक्रमित जानवर की कोशिका मशीनरी को प्रभावित करते हैं, इसलिए हमें लगता है कि सार्स-कोव-2 भी कुछ ऐसा ही करता है। वायरस और अधिक वायरस उत्पन्न करने के लिए शर्करा चयापचय के उप-उत्पादों का उपयोग बिल्डिंग ब्लॉक्स के रूप में भी कर सकते हैं।"

हान ने कहा, "इसलिए, हम भविष्यवाणी कर सकते हैं कि यह दवा जो संक्रमण से पहले दिल में चयापचय को बदल देती है, वायरस के लिए घातक साबित होगी।"

अनुसंधानर्ताओं ने कहा कि सौभाग्य से 2डीजी सस्ती है और नियमित रूप से प्रयोगशाला अनुसंधान में इसका उपयोग किया जाता है। अध्ययन में कहा गया है कि हालांकि 2डीजी को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा बीमारी के इलाज के लिए मंजूरी नहीं दी गई है, लेकिन इस दवा का भारत में कोविड-19 के इलाज के लिए चिकित्सीय परीक्षण चल रहा है।


क्रेडिट ; navbharattimes

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