सरकार ने लिया फैसला, गंगा में रहने वाली डॉल्फ़िन और हिल्सा मछली पर शोध करेंगे वैज्ञानिक
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के मुताबिक, सरकार अब गंगा नदी में रहने वाली डॉल्फिन और हिल्सा मछली के जीवन चक्र का अध्ययन करेगी, ताकि अलग-अलग जगहों पर नदी के स्वास्थ्य का पता चल सके.
NMCG के महानिदेशक जी अशोक कुमार का कहना है कि मिशन यह अध्ययन, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (Council Of Scientific And Industrial Research-National Environmental Engineering Research Institute) के साथ मिलकर करेगा. इसके तहत, बायो-इंडिकेटर्स जैसे डॉल्फ़िन, हिल्सा मछली और सूक्ष्म जीवों की आबादी का अध्ययन किया जाएगा. इससे यह पता चल सकेगा कि नदी के स्वास्थ्य में कितना सुधार हुआ है.
नदी को स्वस्थ रखते हैं बायो-इंडिकेटर्स
जी अशोक कुमार के मुताबिक, ये बायो-इंडिकेटर्स नदी के स्वास्थ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए एनएमसीजी के तहत कई प्रयास किए गए हैं. यह स्टडी भी इन्हीं प्रयासों का हिस्सा है. इतना ही नहीं, माइक्रोबियल विविधता (Microbial diversity) पर मानव हस्तक्षेप के प्रभाव और गंगा में मौजूद ई.कोली (E.coli) की उत्पत्ति की भी स्टडी की जाएगी.
गंगा नदी को स्वच्छ और स्वस्थ रखने के लिए हो रहे हैं प्रयास
यह स्टडी NMCG द्वारा गंगा नदी पर किए जा रहे अध्ययन और शोध के संग्रह का हिस्सा है. आपको बता दें कि यह संग्रह, एनएमसीजी की पहल 'ज्ञान गंगा' के तहत बनाया गया था, जो गंगा नदी से जुड़े विषयों पर रिसर्च, पॉलिसी और एजुकेशन पर फोकस करता है.
हिल्सा मछली पालन के प्रयास सफल
जी अशोक कुमार ने गंगा के मध्य खंड (Middle stretch) में चल रही हिल्सा मछली की एक राष्ट्रीय पशुपालन परियोजना के बारे में भी बताया. उनका कहना है कि हिल्सा की 6 लाख से ज्यादा वयस्क मछलियों का पालन किया गया है. इससे हिल्सा मछली के जर्मप्लाज्म संरक्षण और गंगा नदी में प्रसार में मदद मिलेगी. उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल और झारखंड सीमा के पास नदी में, फरक्का बैराज के अपस्ट्रीम में किशोर हिल्सा मछलियां पाई गई हैं, जिससे पता चलता है कि इस प्रॉजेक्ट के तहत किए गए प्रयास सफल हो रहे हैं.
पिछले चार सालों में नदी से लगभग 190 मछलियों की प्रजातियां रिकॉर्ड की गई हैं, जो नदी के किनारे रहने वाले मछुआरों की आजीविका का सहारा हैं. गंगा नदी और उसके बेसिन को दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला माना जाता है, सबसे बड़ी जैव विविधता भी इसी में पाई जाती है