गर्भवती महिलाओं के लिए खुशखबरी, एक ब्लड टेस्ट बताएगा मां और बच्चे की दिक्कतें

Update: 2022-01-06 08:59 GMT

मैसाच्युसेट्स: गर्भवती महिलाओं के लिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ब्लड टेस्ट खोजा है, जिससे गर्भवती महिला और उसके पेट में पल रहे बच्चे से संबंधित दिक्कतों और बीमारियों के बारे में पता चल जाएगा. हालांकि, इंसान के गर्भधारण की प्रक्रिया को समझना आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती है. अब तक बीमारियों और दिक्कतों का पता करने के लिए वैज्ञानिक भ्रूण से डीएनए लेते थे. या फिर आरएनए का सैंपल लेकर जांच करते थे. पर एक ब्लड टेस्ट से गर्भधारण के समय होने वाली प्री-एक्लैम्पसिया (Pre-Eclampsia) नामक दिक्कत का पता चल जाएगा. 

यह स्टडी हाल ही में Nature जर्नल में प्रकाशित हुई है. असल में गर्भावस्था के दौरान मां और उसके बच्चे का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है. गर्भावस्था यानी प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को प्री-एक्लैम्पसिया (Pre-Eclampsia) नामक दिक्कत का सामना करना पड़ता है. यह दिक्कत आमतौर पर दूसरी बार गर्भधारण करने पर आता है. इसका असर बच्चे की सेहत पर पड़ता है. 
दुनिया में करीब 15 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को यह बीमारी होती है. इसका पता करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ब्लड टेस्ट खोजा है. जिससे प्री-एक्लैम्पसिया समेत कई बीमारियों का पता चल जाएगा. इस बीमारी की वजह से पूरी दुनिया में मां और बच्चे की मौत भी हो जाती है. कोविड काल में तो यह खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है. जिससे मां और बच्चे दोनों को नुकसान हो सकता है. 
प्री-एक्लैम्पसिया (Pre-Eclampsia) एक ऐसी बीमारी है, जो गर्भवस्था के दौरान होती है. इसमें महिलाओं के ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. पेशाब में प्रोटीन आने लगता है. पैरों और बांहों में सूजन आ जाती है. इसे प्री-एक्लैम्पसिया कहते हैं. स्थिति गंभीर होने पर एक्लैम्पसिया कहा जाता है. यानी सही समय पर इसका इलाज न हो तो मां और बच्चे की जान को खतरा बना रहता है.
प्री-एक्लैम्पसिया (Pre-Eclampsia) के लक्षण आमतौर पर 20वें हफ्ते के आसपास दिखने लगते हैं. इसके लक्षणों में शामिल हैं- हाई ब्लड प्रेशर, धुंधला दिखना, सीने में जकड़न और दर्द, सांस लेने में दिक्कत, सिर दर्द, चेहरे, हाथ और पैर में सूजन. इसलिए जब भी महिलाओं को यह दिक्कत दिखाई दे या ऐसे लक्षण महसूस हो तो सबसे पहले किसी बेहतरीन डॉक्टर को दिखाएं. ताकि समय रहते इसका इलाज किया जा सके. 
कोरोना काल में अगर कोई महिला गर्भवती है तो उसे प्री-एक्लैम्पसिया (Pre-Eclampsia) जैसी दिक्कतों का खास ख्याल रखना होगा. क्योंकि कोविड संक्रमण होने पर सीने में सबसे ज्यादा असर होता है. गर्भावस्था के दौरान प्री-एक्लैम्पसिया विकसित होने की आशंका 60 फीसदी से ज्यादा होती है. इसके अलावा एचईएलएलपी सिंड्रोम, हीमोलिसिस यानी रेड ब्लड सेल्स का टूटना, लिवर एंजाइम का बढ़ना और प्लेटलेट्स का कम होना शामिल है. 
प्री-एक्लैम्पसिया (Pre-Eclampsia) से पीड़ित गर्भवती महिला का खास ख्याल रखा जाना चाहिए. उसे सही समय पर डॉक्टर से दिखाना चाहिए. सही दवाएं और खानपान होना चाहिए ताकि उसके शरीर में उच्च स्तर की एंटीबॉडी का निर्माण हो सके. 


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