अंतरिक्ष में चूहों पर किए गए प्रयोग, जानें क्यों कर रहे शोधकर्ता ये काम
दो साल पहले जापनी स्पेस एजेंसी जाक्सा (JAXA) इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में कुछ चूहे (Mice) भेजे गए थे
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दो साल पहले जापनी स्पेस एजेंसी जाक्सा (JAXA) इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में कुछ चूहे (Mice) भेजे गए थे. इन चूहों पर कई तरह के प्रयोग किए गए थे. इस शोधों से वैज्ञिनिकों को एक खास तरह के प्रोटीन (Protein) की पहचान करने में मदद मिली. इस प्रोटीन के बारे में कहा जा रहा है कि यह अंतरिक्ष यात्रियों (Space Travellers) के कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं सुलाझा सकती है और इसकी एजिंग (Aging) यानि उम्र बढ़ाने की प्रक्रिया को काबू में करने में अहम भूमिका निभा सकती है.
क्यों भेजे गए थे अंतरिक्ष में चूहे
जापान एरोस्पेस एक्सप्लोरेशनल एजेंसी,जाक्सा (JAXA) और तोहोकु यूनिवर्सिटी के संयुक्त अध्ययन में चूहों के समूहों को अंतरिक्ष में उनके शरीर पर होने वाले प्रभाव का अध्ययन करने के लिए भेजा था. इस अध्ययन में उनका इरादा उन बदलावों पर निगरानी रखने और उन पर नियंत्रण रखने के उपाय खोजना था.
एंटी एंजिग की अंतरिक्ष यात्रा में अहमियत
अंतरिक्ष में यात्रा इंसान में कई तरह के बदलाव ला देती है. इनमें प्राकृतिक दर से उम्र बढ़ने में बदलाव भी शामिल है. अंतरिक्ष यात्रा इंसानों में एजिंग की प्रक्रिया की गति को बढ़ा देती है. इस अध्ययन के नतीजों से शोधकर्ताओं को एंटी एजिंग के क्षेत्र में काफी मदद मिलने की उम्मीद थी.
यह खास प्रोटीन
कोयोडो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं ने सुझाया है कि 'न्यूक्लियर फैक्टर इरिथ्रोयड2 रिलेटेड फैक्टर' या Nrf2 नाम का प्रोटीन चूहों के जैविक बदलावों के हिस्सों को कम करता है जो उम्र बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. एंटी ऑक्सीडेंट रिस्पॉन्स के मास्टर रेग्युलेटर के नाम से जाना जाने वाला Nrf2 तनाव सुरक्षा प्रक्रिया को शुरू और बंद करने का काम करता है.
12 चूहों पर हुआ प्रयोग
इस प्रयोग के लिए वैज्ञानिकों ने 12 चूहे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में स्पेस एक्स के फॉल्कॉन रोकेट के जरिए साल 2018 में भेजे थे. इनमें से आधे जेनिटिकली इंजीनियर्ड चूहों को Nrf2 प्रोटीन नहीं दिया गया था. इस अध्ययन से पता चला कि चूहों के जिस समूह को Nrf2 नहीं दिया गया है उनके खून में तेजीसे बदलाव हुए जो एजिंग की वजह से होते हैं. वहीं जिन चूहों में प्रोटीन दिया गया था उनमें ऐसा बदलाव दिखाई नहीं दिया.
ये खास अहमियत
कम्यूनिकेशन्स बायोलॉजी में प्रकाशित शोध में शामिल तोहोकू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इस अध्ययन की अगुआई करने वाले मासायुकी यामामोतो ने बताया, "ये नतीजे Nrf2 के भूमिका की अहमियत को रेखांकित करते हैं जिसकी वजह से अंतरिक्ष यात्रा की वजह से होने वाले तनाव पर असर होता है.'
अंतरिक्ष यात्रा और एजिंग दोनों के समस्याओं के समाधान
अंतरिक्ष में लंबा समय बिताने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को हानिकरक विकिरणों का सामना करने की संभावना होती है. इससे कैंसर और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचने का अंदेशा होता है. यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया से संबंधित होता है, लेकिन इसमें अंतर केवल बदलावों की दर का होता है. विशेषज्ञों का मानना है कि Nrf2 के पास अंतरिक्ष में होने वाले नुकसानों का जवाब है जो एजिंग में भी अंततः मददगार साबित हो सकता है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक यह खोज अधिक उम्र संबंधी बहुत सारी बीमारियों के नए इलाज के रास्ते सुझा सकती है. इनमें अल्जाइमर और डायबिटीज जैसी बीमारियां भी शामिल हैं. इससे अंतरिक्ष यात्रा संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान भी निकल सकता है.