800 साल से भी ज्यादा पुराने इस पवित्र मंदिर में आज भी कई ऐसे रहस्य हैं जिनका जवाब विज्ञान भी नहीं खोज पाया. कहते हैं भगवान की लीला अपरंपार है. वो चाहें तो राजा को भिखारी और भिखारी को राजा बना दें. सिर्फ दर्थन मात्र से जहां मन की हर मुराद पूरी हो जाती है, पुरी के उसी भगवान जगन्नाथ मंदिर में आज भी कई ऐसे रहस्य हैं जिनका जवाब बड़े से बड़े वैज्ञानिक आज तक नहीं खोज पाए. भगवान है और वो चमत्कार करते हैं ये सब बातें विश्वास की हैं. कहते हैं भगवान पर विश्वास करके देखो जिंदगी से जुड़े हर सवाल का जवाब ना मिल जाए तो कहना. भगवान तो आपके हर सवाल का जवाब दे ही देते हैं लेकिन उड़ीसा के प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ पुरी के मंदिर में आज भी ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब किसी वैज्ञानिक तक को नहीं मिल पाया है. मंदिर का ध्वज हमेशा हवा से विपरीत क्यों लहरता है, मंदिर की रसोई में बना खाना कभी कम क्यों नहीं पड़ता, मंदिर के शिखर की छाया हमेशा अदृश्य क्यों रहती है. कोई भी हवाई जहाज मंदिर के ऊपर से क्यों नहीं गुजर पाता या एक भी पक्षी इस मंदिर के प्रांगण में क्यों नहीं आता. पुरी का ये पौराणिक मंदिर अपने आप में काफी अलौकिक है. बद्रीनाथ धाम को जहां जगत के पालनहार भगवान विष्णु का आंठवां बैकुंठ माना जाता है, वहीं जगन्नाथ धाम को भी धरती के बैकुंठ स्वरूप माना गया है.
मंदिर की परछाईं का रहस्य
214 फीट ऊंचे इस मंदिर की परछाई आजकर किसी ने नहीं देखी. भगवान जगन्नाथ के मंदिर का ऊपरी हिस्सा विज्ञान के नियम को चुनौती देता है कि जो चीज़ दुनिया में है उसी परछाई बनती है. यहां मंदिर के शिखर की छाया हमेशा अदृश्य ही रहती है. ऐसा क्यों होता है इसके ऊपर कई वैज्ञानिकों ने खोज की लेकिन किसी को भी इसका जवाब नहीं मिला.
दुनिया की सबसे बड़ी रसोई का रहस्य
भगवान जगन्नाथ मंदिर में जो रसोई है वो दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है. यहां जो भी प्रसाद बनता है उसे मिट्टी के बर्तन में ही बनाया जाता है. लेकिन चौकाने वाली बात ये है कि बर्तन के ऊपर बर्तन रखकर आप कितनी भी ऊचाई करके प्रसाद बनाएं लेकिन ये प्रसाद ऊपर से नीचे पकता है ना ही नीचे से ऊपर, तो विज्ञान यहां भी फेल हो जाता है कि आग के संपर्क में आने वाली जो चीज़ सबसे दूर है वो सबसे पहले कैसे प्रभावित होती है. कहते हैं साक्षात भगवान इस प्रसाद को अपने भक्तों के लिए बनाते हैं. दिन में कितने लाखों करोड़ों भक्त क्यों ना आ जाएं ये प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता और जैसे ही मंदिर के कपाट बंद होने का समय आता है प्रसाद अपने आप ही खत्म हो जाता है यानि आजतक इस मंदिर में बने प्रसाद का एक भी कण बर्बाद नहीं हुआ.
विपरीत हवाओं का रहस्य
मंदिर के सबसे ऊपरी हिस्से पर एक ध्वज लहराता है जिसे हर दिन बदला जाता है और कहा जाता है कि अगर किसी भी दिन ये ध्वज नहीं बदला गया तो ये मंदिर अगले 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा. ध्वज से जुड़ा रहस्य ये है कि ये हमेशा हवा के विपरीत दिशा में ही लहराता है. मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है. कहा जाता है कि पुरी के किसी भी कोने से अगर इस सुदर्शन चक्र को देखा जाए तो उसका मुंह आपकी तरफ ही नजर आता है.
मंदिर के ऊपर से नहीं गुजरते हवाई जहाज या पक्षी
भगवान जगन्नाथ के मंदिर के ऊपर से आजतक कोई भी हवाई जहाज या पक्षी नहीं उड़ा है. ऐसा क्यों है, मंदिर के पास आते ही किसी भी हवाई जहाज या पक्षी की दिशा ही बदल जाती है ये रहस्य ही है. इतना ही नहीं किसी भी मंदिर में आपको पक्षियों की कमी नहीं दिखेगी, लेकिन ये एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां कभी भी पक्षी नज़र नहीं आएंगे.
हिंदू धर्म के हिसाब से चार धाम बदरीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और पुरी है. ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु जब चारों धाम पर बसे तो सबसे पहले बदरीनाथ गए और वहां स्नान किया, इसके बाद वो गुजरात के द्वारिका गए और वहां कपड़े बदले. द्वारिका के बाद ओडिशा के पुरी में उन्होंने भोजन किया और अंत में तमिलनाडु के रामेश्वरम में विश्राम किया. पुरी में भगवान श्री जगन्नाथ का मंदिर है जहां भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की काठ (लकड़ी) की मूर्तियां हैं.