क्या बदलती जा रहती है धरती की कक्षा, जाने पूरा सच

धरती का तापमान आज जैसा है,

Update: 2021-08-01 13:10 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | धरती का तापमान आज जैसा है, वैसा हमेशा नहीं था। कभी यह बर्फ का गोला बन गई थी तो कभी आग उगल रही थी। करीब 5.6 करोड़ साल पहले Paleocene-Eocene Thermal Maximum या PETM काल धरती के सबसे गर्म पीरियड में से एक था। दिलचस्प बात यह है कि यह काल काफी कम समय के लिए रहा और इस दौरान असामान्य तरीके से तापमान बढ़ा था।

इस दौरान तापमान पहले से ही ज्यादा था और उसमें भी 5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो गई थी, वह भी सिर्फ कुछ हजार साल में। ईक्वेटर से काफी दूर तक ट्रॉपिकल हालात थे और ध्रुवों पर बर्फ ही नहीं थी। इसका जीवन पर भी असर भयानक था। जलीय जीव गर्म होते पानी में उबलने लगे। स्तनधारी जीवों को फायदा भी हुआ और बाद में इनमें विविधता भी बढ़ने लगी जिससे इंसानों जैसी प्रजातियों के विकास का रास्ता खुलने लगा।

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कार्बन ने तापमान बढ़ाया

इस PETM काल के बारे में इसलिए भी जानना जरूरी है क्योंकि आज धरती ग्लोबल वॉर्मिंग के खतरे का सामना कर रही है। इस संकट के क्या नतीजे होंगे, ये इतिहास से सीखा जा सकता है। हालांकि, यह बात अलग है कि PETM वायुमंडल में कार्बन के बढ़ने से नहीं शुरू हुआ था। कार्बन की वजह से तापमान बढ़ना जरूर तेज हो गया था। इसके पीछे यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई और ऊल्ट्रेक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सिर्फ धरती नहीं, ऐस्ट्रोनॉमिकल फैक्टर्स को भी जिम्मेदार बताया था।

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बदलती रहती है कक्षा

उनके मुताबिक धरती की कक्षा में बदलाव से जलवायु पर असर पड़ता है। इसके मुताबिक धरती की कक्षा परफेक्ट नहीं है और यह समय के साथ बदलता रहता है। जब यह बदलाव ज्यादा होता है, तब इसका असर जलवायु पर दिखता है क्योंकि कक्षा के सूरज के करीब जाने पर धरती पर रेडिएशन और उसके कारण गर्मी भी ज्यादा बढ़ सकती है। इसे पिछले 10 करोड़ के इतिहास में देखा भी जा सकता है।

इससे यह भी समझा जा सकता है कि जब धरती पर ग्लोबल वॉर्मिंग का नुकसान देखा ही जा रहा है, उसमें PETM जैसी कड़ी जुड़ने से कितना विनाश हो सकता है।

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