क्या डंक मारने के बाद खुद भी मर जाती हैं मधुमक्खियां? जानें क्या है वैज्ञानिकों का कहना

Update: 2022-05-25 12:45 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मधुमक्खियों (Honebee) के बारे में हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि अगर वो डंक मारेगी तो खुद भी मर जाएगी. लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं है. कुछ मधुमक्खियां डंक मारने के बाद मर जाती हैं, लेकिन सब नहीं. बल्कि मधुमक्खियों की कुछ प्रजातियां तो डंक भी नहीं मार पातीं.

पेन स्टेट (Penn State) में मॉलीक्यूलर सेल्युलर और इंटीग्रेटेड बायोसाइंसेज़ (molecular cellular and integrative biosciences) के डॉक्टरेट छात्र एलिसन रे (Allyson Ray) का कहना है कि दुनिया भर में मधुमक्खियों की करीब 20,000 प्रजातियां हैं और उनमें से सभी डंक नहीं मारतीं.
मधुमक्खियों का एक ग्रुप है जिसे 'स्टिंगलेस बीज़' (Stingless Bees) यानी बिना डंक वाली मधुमक्खियां (Tribe Meliponini) या 'माइनिंग बीज़' (Mining Bees) कहा जाता है. इनमें डंक तो होते हैं, लेकिन वे इतने छोटे होते हैं कि वे प्रभावी नहीं होते. वे इनसे किसी को चोट नहीं पहुंचा सकतीं.
दो दशकों से मधुमक्खियों का अध्ययन कर रहे वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट निकोलस नेगर (Nicholas Naeger) का कहना है कि बिना डंक वाली मधुमक्खियों की 500 से ज्यादा प्रजातियां हैं. डंक मारने के बजाय, ये मधुमक्खियां काट लेती हैं.
एलिसन रे का कहना है कि मधुमक्खियां अक्सर मनुष्यों या किसी दूसरे स्तनधारी को डंक मारने के बाद मर जाती हैं. यह उनके डंक की शारीरिक रचना (Anatomy) की वजह से होता है. डंक कांटेदार होता है, जो त्वचा के अंदर जुड़ा होता है, ताकि डंक एक ही जगह पर बना रहे और डंक में जहर पंप होता रहे.
निकोलस नेगर के मुताबिक, मधुमक्खियों की करीब 10 प्रजातियां हैं जो दूसरे कीड़ों या मकड़ियों को डंक मारने के बाद नहीं मरतीं. ऐसा केवल तभी होता है जब मधुमक्खी को लगता है कि उसके छत्ते पर आक्रमण किया जा रहा है. वे मरती क्यों नहीं, इसकी वजह यह है कि डंक आम तौर पर एक कीडे के पतले एक्सोस्केलेटन को छेदने में सक्षम होता है और डंक मारने के बाद आसानी से निकल भी जाता है.
इंसानों की त्वचा कीड़ों की त्वचा की तुलना में काफी मोटी होती है, जिसका मतलब यह है कि डंक अंदर धंस जाते हैं. मधुमक्खी व्यक्ति को डंक मारने के बाद उड़ जाती है, लेकिन डंक वहीं रह जाता है. इससे उसके पेट के अंग खिंचकर अलग हो जाते हैं. अब मधुमक्खी के पेट में सिर्फ एक छेद रह जाता है. डंक मारने के बाद वह कुछ घंटे तक भले ही ज़िंदा रह जाए, लेकिन आखिरकार ऑर्गन फेलियर की वजह से वह मर जाती है.
नेगर का कहना है कि उन्होंने यह जानने के लिए एक शोध भी किया कि क्या मधुमक्खियां डंक मारने के बाद मर जाती हैं. उन्होंने कहा कि वे ऐसी 200 से ज्यादा मधुमक्खियों के पीछे गए जिन्होंने किसी व्यक्ति को काटा था. लेकिन अगली सुबह तक कोई मधुमक्खी जीवित नहीं मिली. डंक मारना उनकी जान ले लेता है.
हालांकि, बाकी मधुमक्खियां इंसानों को डंक मारने के बाद भी ज़िंदा रहती हैं. क्योंकि उनके डंक अलग-अलग तरह के होते हैं. भौंरे के डंक चिकने होते हैं और इसलिए वे कई बार डंक मारकर भी नहीं मरते. इसी तरह ततैया जैसे बाकी डंक वाले कीटों में भी चिकने डंक होते हैं, जिससे ये बार-बार डंक मार सकते हैं, बिना मरे.
लेकिन सवाल यह उठता है कि मधुमक्खियां काटती क्यों हैं? ज्यादातर मक्खियों की तरह मधुमक्खियां भी डरपोक होती हैं, खासकर जब वे अपने छत्ते से दूर होती हैं, क्योंकि उनके पास खुद की सुरक्षा के लिए कुछ भी नहीं होता. मधुमक्खियों और ततैया को एक जैसा ही समझा जाता है, जबकि ततैया मधुमक्खियों की तुलना में ज्यादा साहसी और आक्रामक होती हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि डंक मारने वाली कोई भी मधुमक्खी असल में मादा मधुमक्खी ही होती है. क्योंकि डंक असल में एक संशोधित ओविपोसिटर (ovipositor) होता है, यानी एक ट्यूबलर अंग जिसके ज़रिए मादा मक्खी अपने अंडे जमा करती है. नर की तुलना में मादा मधुमक्खियां ज्यादा होती हैं. मधुमक्खी की एक औसत आबादी में मादा और नर मक्खी का अनुपात करीब 5 :1 होता है


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