ओजोन के खत्‍म होने से समाप्त हो सकता है इंसानी जीवन, जानें कैसे

दुनिया अंतरराष्‍ट्रीय ओजोन डे मनाती है. ओजोन डे के तौर पर एक बार फिर धरती खतरनाक कणों से बचाने का वादा लोग करते होंगे

Update: 2021-09-16 15:14 GMT

16 सितंबर को दुनिया अंतरराष्‍ट्रीय ओजोन डे मनाती है. ओजोन डे के तौर पर एक बार फिर धरती खतरनाक कणों से बचाने का वादा लोग करते होंगे. आपने अपने स्‍कूल के दिनों से सुना होगा ओजोन परत के बारे में. लेकिन क्‍या कभी आपने यह जानने की कोशि की है कि आखिर ओजोन परत क्‍या होती है. आइए आपको इस खास दिन पर इसके बारे में बताते हैं.

ओजोन परत दरअसल गैस से बना वो कवर है जो पृथ्‍वी को सूरज की खतरनाक किरणों से बचाती है. इस परत की वजह से ही धरती पर जीवन संभव है. ओजोन परत को न सिर्फ इसी पीढ़ी के लिए बल्कि आने वाली कई पीढ़‍ियों के लिए बचाना बहुत जरूरी है. इस परत की वजह से ही ग्‍लोबल वॉर्मिंग से धरती को बचाने में सफलता हासिल हो सकेगी.
इको-सिस्‍टम के लिए भी जरूरी
इस परत ने इंसान के स्‍वास्‍थ्‍य की तो रक्षा की ही है साथ ही साथ इको-सिस्‍टम को भी बचाकर रखा है. ओजोन परत की वजह से ही धरती तक खतरनाक अल्‍ट्रावॉयलेट किरणें नहीं पहुंच पाती हैं. यूनाइटेड नेशंस के मुताबिक वातावरण में ओजोन बहुत कम मात्रा में ही मौजूद है. इसके बाद भी यह मानव कल्याण के साथ-साथ कृषि और रहन सहन के लिए बहुत ही जरूरी है. पृथ्वी का अधिकांश हिस्‍सा ओजोन परत में ही रहता है.
कहां पर है ओजोन की परत
यह वायुमंडल की वह परत है जो सतह से 10 किलोमीटर से ज्‍यादा की दूरी पर है. ओजोन का केमिकल फॉर्मूला O3 है. एक ओजोन अणु में तीन ऑक्सीजन परमाणु होते हैं. ओजोन की खोज 1800 के मध्य में लैब में की गई थी. ओजोन कई केमिकल्‍स के साथ तेजी से रिएक्‍ट करती है. अच्छी ओजोन, जिसे स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन भी कहते हैं, इंसानों और बाकी जीवों के लिए अच्छी मानी जाती है. यह सूरज से निकलने वाली यूवी किरणों को ऑब्‍जर्व करती है. अगर इसे ऑब्‍जर्व न किया जाए तो तेज किरणें धरती की सतह तक पहुंच जाएंगी. यह इंसानों के साथ ही साथ हर मनुष्‍य के लिए खतरनाक हैं.
क्‍या ओजोन खत्‍म हो रही है
वायुमंडल में ओजोन को कई तरीकों से मापा जाता है. आज ओजोन की परत दिन पर दिन कम होती जा रही है. इंडस्‍ट्रीज और मॉर्डन लाइफस्‍टाइल ने इसे खासा प्रभावित किया है. इंडस्‍ट्रीज और दूसरी प्रक्रियाओं की वजह से ओजोन-घटने वाले पदार्थों जिसे ओडीएस कहते हैं वो वातावरण में आते हैं. ओडीएस हैलोजन गैसों से निर्मित हैं जो मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल द्वारा दुनिया भर में नियंत्रित की जाती हैं.
ये गैसें क्लोरीन और ब्रोमीन परमाणुओं को स्ट्रेटोस्फीयर में लाती हैं. यहां पर वो रासायनिक प्रतिक्रियाएं कर ओजोन को खत्‍म कर देती हैं. सबसे बड़ा उदाहरण है क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) हैं. इस गैस का प्रयोग एसी समेत उन सभी अप्‍लायंसेज में होता है जो कूलिंग में मददगार होते हैं. हॉलोन, जो आग बुझाने वाले एजेंटों के रूप में उपयोग की जाती थी. क्‍लोरीन और ब्रोमीन सबसे प्रतिक्रियाशील गैसें उत्प्रेरक प्रतिक्रियाओं में भाग लेती हैं जो आसानी से ओजोन को नष्ट करती हैं.
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