महाद्वीप अंटार्कटिका पहुंचा कोरोना वायरस, 36 लोग हुए संक्रमित

चारों तरफ से दक्षिणी महासागर से घिरे अंटार्कटिका का ज्यादातर हिस्सा बर्फ के पहाड़ों से ढका हुआ है।

Update: 2020-12-23 13:39 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस दुनिया भर में फ़ैल चुका है लेकिन धरती के सबसे दक्षिण में मौजूद महाद्वीप अंटार्कटिका इस वायरस से दूर था। लेकिन, सोमवार को यहां भी कोविड-19 ने दस्तक दे दी। चिली स्थित एक रिसर्च सेंटर में 36 लोग की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। सोमवार को अंटार्कटिका में चिली के रिसर्च सेंटर के लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई। संक्रमित लोगों में 26 सेना के हैं जबकि 10 लोग मेंटेनेंस वाले है। चिली की सेना ने कहा कि उन्होंने सभी संक्रमित लोगों को वापस बुला लिया है।


चारों तरफ से दक्षिणी महासागर से घिरे अंटार्कटिका का ज्यादातर हिस्सा बर्फ के पहाड़ों से ढका हुआ है। कोरोना महामारी को देखते हुए अंटार्कटिका में सभी तरह के पर्यटन पर रोक थी लेकिन 27 नवंबर को चिली से कुछ सामान अंटार्कटिका पहुंचा था और अब ऐसा माना जा रहा है कि इसी की वजह से 36 लोग संक्रमित हुए हैं। कोरोना पॉजिटिव पाए गए 36 लोगों को चिली के शहर पुन्ता आरिनस में शिफ्ट किया जा चुका है, वहां उन्हें आइसोलेशन में रखा गया है। स्पेनिश भाषा की मीडिया ने बताया कि कोरोना वायरस का प्रकोप 21 दिसंबर को जनरल बरनार्डो रेक्यूलम रिसर्च बेस में फैला था।

अंटार्कटिका ने इससे पहले टूरिस्ट के लिए ट्रैवल बैन कर दिया था ताकि महाद्वीप कोरोना से मुक्त रह सके। वहीं ऐसा समझा जा रहा है कि 27 नवंबर को चिली से कुछ सामान अंटार्कटिका पहुंचा था और इसी से लोग संक्रमित हुए। अंटार्कटिका में सामान उतारने के बाद जब जहाज से लोग वापस लौटे तो कई हफ्ते बाद कुछ क्रू मेंबर्स में वायरस पाया गया। हालांकि चिली की सेना का कहना है कि सप्लाई भेजे जाने से पहले सभी यात्रियों का कोरोना टेस्ट किया गया था। तब सभी के रिजल्ट निगेटिव आए थे।

अंटार्कटिका में कई देशों के रिसर्च बेस हैं और कोरोना से बचाव के लिए यहां रहने वाले लोगों पर भी पाबंदियां लगाई गई हैं और उन्हें मिलने-जुलने के लिए भी रोक दिया गया है। इसकी वजह से साझे रिसर्च अभियान में भी दिक्कतें आ रही है। अंटार्कटिका में कई देशों के रिसर्च बेस हैं और कोरोना से बचाव के लिए यहां रहने वाले लोगों पर भी पाबंदियां लगाई गई है और उन्हें मिलने-जुलने रोक दिया गया है। इसकी वजह से साझे रिसर्च अभियान में भी दिक्कतें आ रही हैं।

जिस वक्त मार्च में दुनिया भर में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लागू किया जा रहा था, उस वक्त अंटार्कटिक प्रोग्राम ने महाद्वीप के लिए महामारी के विनाशकारी होने की बात कही थी। दुनिया की सबसे तेज हवाएं और सर्द मौसम पहले ही रिसर्च सेंटर के कर्मियों के लिए खतरनाक हैं। काउंसिल ऑफ मैनेजर ऑफ नेशनल अंटार्कटिक प्रोग्राम के दस्तावेज के मुताबिक बहुत ज्यादा संक्रामक कोरोना वायरस अंटार्कटिका के सख्त वातावरण में ज्यादा जानलेवा और तेजी से फैल सकता है और मेडिकल सुविधा के सीमित होने के संभावित तौर पर भयानक परिणाम हो सकते हैं।


Tags:    

Similar News

-->