जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अंतरिक्ष की रेस में चीन ने बड़ी छलांग लगाई है। उसके तीन अंतरिक्ष यात्री करीब 183 दिन स्पेस में बिताकर वापस लौट आए हैं। चीन के अंतरिक्ष यात्री स्पेस में अपने घर, यानी खुद के बनाए स्पेस स्टेशन पर रुके थे। चीन ने अब स्पेस से धरती तक वापसी में लगने वाला समय भी घटा लिया है। चीन के मिशन शेनझोउ-13 के अंतरिक्ष यात्री सिर्फ 8 घंटे में धरती पर लौटे, जबकि इससे पहले के शेनझोउ-12 मिशन की वापसी में लगभग 28 घंटे लगे थे।
तियांगोंग चीन के स्पेस स्टेशन का नाम है। अभी यह स्पेस स्टेशन पूरी तरह से तैयार नहीं है। चीन का इरादा है कि वह इसे इस साल पूरी तरह से बना लेगा। इसके लिए इस साल वह 6 और मिशन स्पेस में भेजेगा। इसके बाद तियांगोंग काम करने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगा, और यह अगले 10 साल तक आबाद रहेगा। चीन अपने स्पेस स्टेशन पर जून में ही तीन और अंतरिक्ष यात्री भेजेगा। शेनझोउ-14 मिशन की टीम स्टेशन में दो मॉड्यूल जोड़ेगी और वहां 6 महीने बिताएगी। इसके बाद शेनझोउ-15 मिशन के तहत और चीनी अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन पहुंचेंगे।
कहा जा रहा है कि 2024 के बाद इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन रिटायर हो जाएगा। इसके बाद चीन का तियांगोंग ही दुनिया का इकलौता स्पेस स्टेशन होगा, जहां अंतरिक्ष यात्री रह पाएंगे। इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन ने सोवियत यूनियन के स्पेस स्टेशन 'मीर' की जगह ली थी। अब समझा जा रहा है कि चीन का स्पेस स्टेशन आने वाले 10 सालों में अंतरिक्ष की दुनिया में अहम भूमिका निभाने वाला है।
स्पेस में अपना घर बनाने के साथ ही चीन का इरादा है कि वह स्पेस टूरिज्म में भी अपना हाथ आजमाए। चीन ने अपने दम पर 2003 में पहला अंतरिक्ष यात्री भेजा था। तब से अब तक स्थिति काफी बदल गई है। चीन के पहले अंतरिक्ष यात्री यांग लिवेई का कहना है कि जल्द ही आम लोग बिना किसी खास ट्रेनिंग के अंतरिक्ष की सैर का मजा लेंगे। लिवेई ने कहा, 'यह अब तकनीक का मुद्दा नहीं रहा है, बल्कि डिमांड की बात बन चुका है।' चीन के स्पेस स्टेशन के वाइस चीफ डिजाइनर बेई लिनहोउ का कहना है कि तियांगोंग स्टेशन हमने बिना किसी की मदद से बनाया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरे देशों को यहां आने का मौका नहीं मिलेगा। इस स्टेशन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि दूसरे देशों के अंतरिक्ष यात्री भी यहां आराम से काम कर सकते हैं। स्टेशन में समय आने पर और भी केबिन जोड़े जा सकते हैं लेकिन अभी जो केबिन हैं, पहले उन्हें काम करने के लायक बनाना है। इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन के मुकाबले चीनी स्पेस स्टेशन अभी बजट के हिसाब से काफी छोटा बनाया गया है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन का कहना है कि जब चीन का स्पेस स्टेशन पूरी तरह बन जाएगा तो इसे संयुक्त राष्ट्र के सभी देशों के लिए खोल दिया जाएगा। इस स्टेशन पर किए जाने वाले प्रयोगों के लिए पहले ही 17 देशों और 23 संस्थाओं के 9 प्रॉजेक्ट्स चुन लिए गए हैं। रूस और अमेरिका के बाद चीन अपने दम पर अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजने वाला तीसरा देश है। भारत भी 'गगनयान मिशन' में अपने अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजने की तैयारी में है, रूस इसमें मदद कर रहा है। क्या भारत भी अपने स्पेस स्टेशन की तैयारी में है? इस पर इसरो का कहना है कि स्पेस स्टेशन से जुड़े काम गगनयान मिशन के बाद की बात हैं। भविष्य में स्पेस स्टेशन के प्रस्ताव और इसके तौर-तरीकों पर काम किया जाएगा।
चीन ने अपने स्पेस स्टेशन पर सभी देशों को शामिल करने की बात तो कही है, लेकिन यह भविष्य की स्थितियों पर निर्भर है। जिस तरह रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का असर इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन तक जा पहुंचा और रूस ने इसके क्रैश होने की बात कही, उससे साफ है कि स्पेस स्टेशन जिसका होगा, चलेगी भी उसी की। आने वाले दिनों में अंतरिक्ष पर उसी का राज होगा जिसके पास वहां अपना घर यानी अपना स्पेस स्टेशन होगा।जनता से रिश्ता वेबडेस्क।