बोतलबंद पानी का नल के पानी से 3500 गुना ज्यादा बुरा प्रभाव, स्टडी में दावा
गर्मियों में आप बाहर जाते हैं और पानी ले जाना भूल जाते हैं तो पहला काम क्या करते हैं? सबसे आसान काम...नजदीकी दुकान खोजकर वहां से पानी की बोतल खरीदते हैं. उससे अपनी प्यास बुझाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि नल के पानी की तुलना में बोतलबंद पानी पर्यावरण और सेहत के लिए 3500 गुना ज्यादा बुरा है. क्योंकि बोतलों में बंद पानी कई दिनों तक एक स्थिति में रहने की वजह से कई सौ गुना ज्यादा खतरनाक हो जाता है.
बार्सिलोना में हुई एक स्टडी के अनुसार बोतलबंद पानी का पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) पर 1400 गुना और जल स्रोतों पर 3500 गुना ज्यादा बुरा प्रभाव डालता है. इन बोतलबंद पानी को बनाने की प्रक्रिया में हर साल करीब 1.43 प्रजातियां धरती से खत्म हो जा रही हैं. जो कि जैव-विविधता को खत्म करने की एक बुरी और अनचाही साजिश है. पिछले साल पूरी दुनिया में बोतलबंद पानी की खपत बहुत तेजी से बढ़ी है. इसकी रिपोर्ट साइंस ऑफ द टोटल एनवायरमेंट जर्नल में प्रकाशित हुई है.
वैश्विक स्तर पर बढ़े बोतलबंद पानी की खपत के पीछे प्रमुख कारण है खतरे का आकलन और ऑर्गेनौलेप्टिक्स (Organoleptics). ऑर्गैनोलेप्टिक्स यानी पानी के स्वाद और गंध को लेकर परसेप्शन, सार्वजनिक नलों के पानी पर भरोसा नहीं करना और बोतलबंद पानी के उद्योग द्वारा किए जा रहे विज्ञापन. इन्हीं वजहों से बोतलबंद पानी की खपत पिछले साल काफी ज्यादा हुई है. एक वजह लॉकडाउन भी था. लोग बोतलबंद पानी खरीदने के लिए मजबूर थे.
बार्सिलोना में हुई स्टडी में तीन तरह के पानी की कीमत और उनके फायदों का विश्लेषण किया गया. तीन तरह का पानी है- बोतलबंद पानी, नल का पानी और नल का फिल्टर पानी. स्टडी में ये बात सामने आई कि बोतलबंद पानी की ज्यादा खपत पर्यावरण को नल के पानी से ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. स्टडी करने वाली टीम ने बताया कि उन लोगों ने तीनों तरह के पानी की जांच और विश्लेषण हर तरीके से किया है.
बार्सिलोना की आबादी चार तरह का पानी पीती है. पहला - वो जलस्रोत जहां से पीने का पानी प्राकृतिक तौर पर मिलता है, दूसरा- नल का पानी, तीसरा- बोतलबंद पानी और चौथा- नल का फिल्टर पानी. जहां पर लोग नल का पानी ज्यादा पीते हैं, वहां पर पर्यावरणीय नुकसान कम देखे गए. स्रोतों की खपत भी कम हुई है. जबकि, जहां पर लोग बोतलबंद पानी पी रहे थे, वहां पर पर्यावरणीय नुकसान ज्यादा देखे गए. बोतलबंद पानी का प्रजातियों पर 1400 गुना ज्यादा असर होता है, जबकि जलीय स्रोतों पर 3500 गुना ज्यादा.
नल के पानी पीने से जो सामान्य दिक्कत देखने को मिली है, वो है ट्राईहैलोमीथेन (Trihalomethane). ये उन रसायनों का बाइ-प्रोडक्ट है, जो खेतों में फसलों को बचाने के लिए छिड़के जाते हैं. ये मिट्टी में मिल जाते हैं, उसके बाद जलीय स्रोतों और फिर नल के पानी में. अगर इसकी मात्रा बढ़ती है तो ब्लैडर कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है. लेकिन जहां पर सार्वजनिक नल के पानी का रखरखाव बेहतर होता है, वहां पर पर्यावरणीय नुकसान भी कम होते हैं.
इस स्टडी की प्रमुख शोधकर्ता क्रिस्टीना विलानुएवा ने कहा कि बार्सिलोना में नल के पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार लाया गया है. यहां के पानी में ट्राईहैलोमीथेन (Trihalomethane) की मात्रा बहुत कम है, इसलिए लोगों की सेहत पर नुकसान भी कम है. हालांकि, बोतलबंद पानी से कई अन्य तरह के नुकसान का जिक्र स्टडी में किया गया है.
स्टडी में बताया गया है कि नॉन-रिन्यूएबल रिसोर्स कम हो रहे हैं. प्रदूषण का स्तर बहुत तेजी से बढ़ रहा है, दिसकी वजह से पानी में भी इनका मिलना तय होता है. इसकी वजह से जलीय जीवन को नुकसान पहुंचता है. समुद्री और नदियों के पानी में माइक्रो और नैनो-प्लास्टिक की मात्रा लगातार बढ़ रही है. इसकी कई रिपोर्टस अक्सर आती रहती हैं. इसलिए बोतलबंद पानी का उपयोग कम करना होगा. क्योंकि पानी तो आप पी लेते हैं, लेकिन बोतल को प्रदूषण फैलाने के लिए छोड़ देते हैं.