मशरूम उत्पादन में आज तीसरे पायदान पर है बिहार, इस वैज्ञानिक का हाथ
मशरूम उत्पादन
मशरूम उत्पादन के मामले में बिहार आज देश का अग्रणी प्रदेश बन गया है. यहां पर बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती हो रही है और किसान मोटी कमाई करने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रहे हैं. हालांकि कुछ दशक पहले स्थिति ऐसी नहीं थी. डॉ राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर के एक वैज्ञानिक डॉक्टर दयाराम की कोशिशों का नतीजा है कि आज राज्य में प्रतिवर्ष 21 हजार टन मीट्रिक टन से अधिक मशरूम का उत्पादन हो रहा है. मशरूम की खेती के लिए किए गए सफल प्रयासों के कारण ही डॉक्टर दयाराम को मशरूम मैन भी कहा जाता है.
टीवी9 हिंदी डिजिटल से बात करते हुए उन्होंने बताया कि जब 1995 में मैंने विश्वविद्यालय जॉइन किया तब मशरूम की चर्चा की थी. कुछ अधिकारियों ने कहा कि आने वाले दिनों में मशरूम जरूरत बन जाएगा, लेकिन कुछ लगोगों ने कहा कि इसे छोड़िए, कुछ और कीजिए. लेकिन धु के पक्के डॉक्टर दयाराम कहते हैं कि मेरा सोना, जागना और खाना सबकुछ मशरूम ही है. मैंने जीवन ही मशरूम के लिए समर्पित कर दिया है.
उन्होंने कहा कि भले ही कुछ अधिकारियों ने मशरूम की महत्ता नहीं समझी हो, लेकिन बिहार सरकार ने मशरूम पर ध्यान दिया। यहीं कारण है कि प्रदेश में कुल 21 हजार मीट्रिक टन से अधिक का मशरूम उत्पादन हो रहा है और कोरोना काल में भी मशरूम की खेती फल-फूल रही है.
बना रोजगार का बेहतर जरिया
1995 से लेकर अब तक मशरूम की खेती में बिहार काफी आगे निकल चुका है. एक वक्त था, जब इस पर सोचना भी मुश्किल था और आज हर जिले में सैकड़ो टन मशरूम निकल रहा है. बिहार के लोगों के लिए एक यह रोजगार का बेहतर जरिया बन गया है.
डॉक्टर दयाराम बताते हैं कि लेबोरेटरी में 200 से ज्यादा कल्चर अभी भी हैं. इस पर रिसर्च का काम चल रहा है. बिहार की सबसे बड़ी परेशानी यहां की जलवायु है. यहां अति गर्मी है तो ठंढ़ी भी वैसे ही, बारिश और बाढ तो हर साल आनी ही है. ऐसे में मशरूम उगाने और इसके लिए लोगों को तैयार करना पहले बहुत मुश्किल था क्योंकि यहां सब्जियों के लिए आसपास खेत है और ज्यादातर किसान पारंपरिक तरीके से ही सब्जी लगाना चाहते थे.
घर पर रहकर लाखों रुपए की हो रही है कमाई
अब युवक रोजगारपरकता और व्यवसाय को समझने लगे हैं. यहां के युवक-युवतियों ने भरपूर शिक्षा ली और मशरूम पर काम करना शुरू किया. राज्य के किसान अब घर पर ही लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं और मशरूम दूसरे प्रदेशों को भेज रहे हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब हमने मशरूम पर अपनी जानकारी साझा की तो उन्होंने हमारी बातों को सुना और कहा कि इस पर काम कीजिए. बिहार में बदलाव होगा.
सरकार ने दिया विशेष पैकेज
सरकारी अधिकारियों का सहयोग बहुत ही सराहनीय रहा. कृषि मंत्रालय के तमाम अधिकारी हमारी मशरूम योजना को सफल बनाने के लिए समय समय पर बजट देते रहे हैं. उसका नतीजा है कि मैने सिर्फ 5 किलो बीज बनाने के लिए एक मशीन खरीदा था. आज हमारे पास प्रतिदिन 5 क्विंटल बीज तैयार करने वाली मशीन और लेबोरेटरी है.
हजारों लोग अब मशरूम उगा रहे हैं
बिहार के सभी जिले में हमने युवकों को मशरूम उगाने की ट्रेनिंग दी है. हजारों लोग आज उद्यमी बन गए हैं, जिस जिले में देखना हो आप देख सकते हैं. कल तक नौकरी के लिए बाहर जाने वाले युवक-युवतियों ने मशरूम की खेती शुरू की और आज बेहतर जीवन यापन कर रहे हैं.
तापमान के मुताबिक तैयार की गई मशरूम की किस्म
मशरुम उगाने के लिए लोगों के मन जो भ्रातियां थी, उसे दूर किया गया. बगैर स्ट्रक्चर के ही लोगों की झुग्गियों में मशरूम उगाने की विधि बना दी, जहां सैकड़ों किलो हरेक दिन मशरूम निकलने लगी है और बाजार में आसानी से उपलब्ध है.
बिहार में हर मौसम में मशरूम की खेती के लिए बीज तैयार है. किसान आसानी से पूरे साल खेती कर रहे हैं. यहां पर 6 से 7 तरह की फसल तैयार की जा रही है. दयाराम बताते है कि सिर्फ मशरूम उगाने की ही नहीं बल्कि इसके प्रोसेस से लेकर अगल-अलग प्रोडक्ट भी बनाने की विधि हमनें लोगों को बताया है. आज मशरूम से 20 तरह के सामान बनाए जा रहे हैं.
सरकार दे रही है 50 फीसदी सब्सिडी
मशरूम के रेडी को ईट प्रोडक्ट में चिप्स, अचार, लड्डू, बर्फी, गुजिया, पाउडर, कुकीज, नमकीन, समोसा, चटनी, गुलाब जामुन और चॅाकलेट बाजार में उपलब्ध है. रेडी टू कूक प्रोडक्ट में मशरूम चाप, हलुआ, पनीर, पकौड़ा, मशरूम मिल्क और मशरूम पापड़ सहित कई सामान बनाए गए हैं.
वे कहते हैं, इसमें से कुछ सामान के लिए हमने संबंधित विभागीय अनुमति भी ले ली है और कुछ का पेटेंट भी करा लिया है. दयाराम बताते हैं कि अभी पूरे राज्य में 21 हजार 325 टन सलाना मशरूम का उत्पादन हो रहा है. इस मामले में हम तीसरे नंबर पर हैं. जल्द ही विश्व बाजार में हम चीन, जापान और ताइवान को पीछे छोड़ देंगे. बिहार की सरकार मशरूम उगाने के लिए पूरी योजना पर लागत का 50 फीसदी सब्सिडी दे रही है. यहां के छोटे-छोटे किसान भी इस योजना का आसानी से लाभ उठा रहे हैं और आज उद्यमी के श्रेणी में आ गए हैं.