विज्ञानं जगत में बड़ी सफलता! वैज्ञानिकों ने खोजा ऐसा बैक्टीरिया जो मंगल को बनाएगा हमारा दूसरा 'घर'

विज्ञानं जगत में बड़ी सफलता

Update: 2022-06-13 11:30 GMT

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA से लेकर एलन मस्क (Elon Musk) तक हर कोई मंगल ग्रह (Planet Mars) पर पहले इंसान को पहुंचा कर इस रेस को जीतना चाहता है. हालांकि, हम लोग इस बारे में पूरी तरह जानते हैं कि मंगल ग्रह (Mars) का पर्यावरण हमारे अनुकूल नहीं है. स्थायी वातावरण की कमी, पानी का नहीं होना, धूल का तूफान और अनिश्चित मौसम ने लोगों की परेशानी बढ़ाई हुई है. हालांकि, कुछ ऐसे बैक्टीरिया ऐसे हैं, जो लाल ग्रह (Red Planet) पर जीवित रह सकते हैं.


दरअसल, वैज्ञानिकों की एक टीम ने ऐसा तरीका ईजाद किया है, जिससे मंगल ग्रह पर इंसानों को पहुंचाने में मदद मिल सकती है. यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रीमन (University of Bremen) के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह जैसे वातावरण में साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) को तैयार किया है. ये मंगल की सतह को रहने लायक बनाने में मदद करेगा. इस अध्य्यन के प्रमुख लेखक डॉ साइप्रीयन वर्सू ने बताया मंगल पर कम दबाव वाला वायुमंडल मौजूद है. ऐसे में ये बैक्टीरिया वहां मौजूद गैसों का प्रयोग कार्बन और नाइट्रोजन के स्रोत के तौर पर कर सकता है.
कैसे काम करता है साइनोबैक्टीरिया
वैज्ञानिकों को अभी तक मिलीं साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) की सभी प्रजातियां फोटोसिंथेसिस (Photosynthesis) के बाइ-प्रॉडक्ट के तौर पर ऑक्सीजन को बनाती हैं. इस बैक्टीरिया की खास बात ये है कि ये वातावरण में मौजूद कॉर्बन डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन के जरिए पोषक तत्वों का निर्माण कर सकता है. वैज्ञानिकों ने बायोरिएक्टर नाम का एक एटम बनाया है. इसकी मदद से मंगल पर मिलने वाले तत्वों का प्रयोग किया जाएगा. शोध में पाया गया कि साइनोबैक्टीरिया मंगल के हालात में बढ़ सकता है.

मंगल पर पैदा की जा सकती है ऑक्सीजन !
साइनोबैक्टीरिया अपने वातावरण में काफी सख्त होते हैं. अपने टोक्सिन के जरिए ये दूसरे बैक्टीरिया को खत्म करने का माद्दा भी रखते हैं. इन सबके बावजूद भी ये पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत जरूरी होते हैं. माना जाता है कि 2.4 अरब साल पहले साइनोबैक्टीरिया का एक बूम हुआ. इसकी मदद से पृथ्वी के वातावरण में ऑक्सीजन पैदा हुई, जो जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए, वैज्ञानिकों को अब लगता है कि क्या साइनोबैक्टीरिया का उपयोग मंगल जैसे ऑक्सीजन-रहित ग्रह पर ऑक्सीजन बनाने के लिए किया जा सकता है. अगर ये संभव हो जाता है, मानवता सदा के लिए बदल जाएगी.


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