बड़ा खुलासा: 29-32 हजार से इंसानों का सबसे पसंदीदा पालतू जीव है कुत्ता, मिली प्राचीन खोपड़ी
लंदन: इंसानों का सबसे पसंदीदा पालतू जीव कुत्ता है. पर क्या आपको पता है कि इंसानों ने कुत्तों को पालतू बनाना कब से शुरु किया है. साल 2009 तक यह पता था कि इंसान कुत्तों को 17 हजार साल पहले से पाल रहे हैं. लेकिन एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि कुत्तों को 29 हजार से 32 हजार से पालतू बनाया जा रहा है. यह तब कि बात है जब निएंडरथल मानव आज के वर्तमान होमो सैपियंस मानवों में बदल रहे थे.
यूरोप और मध्य-पूर्व में 45 हजार साल से लेकर 35 हजार साल के बीच निएंडरथल मानव आधुनिक होमो सैपियंस में तब्दील हो रहे थे. 35 हजार साल पहले निएंडरथल मानव पूरी तरह से खत्म होने की कगार पर आ चुके थे. जबकि, आज के इंसान तेजी से विकसित हो रहे थे. यहीं पर इंसानों ने कुत्तों और जंगली भेड़ियों के बीच अंतर समझना शुरु किया. कुत्तों के प्रति इंसानों का रवैया बदलता चला गया.
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट पॉल मेलर्स और जेनिफर फ्रेंच ने इस कुत्तों को पालतू बनाने की जो ऐतिहासिक स्टडी की वह साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है. इंसानों और कुत्तों के पुराने संबंधों की पुष्टि दुनिया भर के 164 पुरातन स्थानों से मिले सबूतों, कंकालों की जांच करने के बाद की गई है. आधुनिक इंसानों ने निएंडरथल मानवों पर राज करना सबसे पहले दक्षिण-पश्चिम फ्रांस के डोरडोने इलाके से शुरु किया था. धीरे-धीरे आधुनिक इंसान बढ़ते गए और निएंडरथल खत्म होते चले गए.
इन 164 स्थानों में कई स्थानों पर इंसानों के प्राचीन यंत्रों, अवशेषों, पत्थरों के साथ कुत्तों की खोपड़ियां भी मिली हैं. सबसे प्राचीन खोपड़ी जो मिली है, उसकी उम्र करीब 29 हजार से लेकर 32 हजार साल पुरानी मानी जा रही है. जहां भी इंसानों और कुत्तों के बीच संबंध स्थापित हुआ है, वहां पर आधुनिक इंसानों के यंत्र, अवशेष और उनके द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली चीजें मिली हैं, जिनका उपयोग निएंडरथल मानव नहीं करते थे.
आधुनिक इंसानों ने निएंडरथल मानवों को पिछाड़ने में करीब 10 हजार साल का समय लिया. इस दौरान कुत्ते उनके सबसे अच्छे पालतू जानवर बनते चले गए. हालांकि, वैज्ञानिक यह मानते हैं कि निएंडरथल मानवों ने धरती पर करीब ढाई लाख साल राज किया था. वो आधुनिक इंसानों की तुलना में अपने पर्यावरण से ज्यादा घुलेमिले हुए थे. लेकिन जलवायु परिवर्तन और नए यंत्रों की खोज ने आधुनिक इंसानों को निएंडरथल मानवों पर हावी कर दिया.
आधुनिक इंसान ज्यादा खतरनाक हथियार बनाने लगे. कुत्तों समेत अन्य जीवों को पालने लगे. खेती-बाड़ी करने लगे. साल 2009 में रॉयल बेल्जियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल साइंसेस के पुरातत्वविद मित्जे जर्मोनप्रे ने अपनी गहन स्टडी के बाद बताया था कि इंसान कुत्तों को 17 हजार साल पहले से पाल रहे हैं. लेकिन साल 2009 के बाद वैज्ञानिकों को कुत्तों की तीन खोपड़ियां अलग-अलग स्थानों पर मिली. इनमें से सबसे पुरानी थी बेल्जियम की गुफा गोयेट में मिली खोपड़ी. यह 32 हजार साल पुरानी थी.
मित्जे जर्मोनप्रे ने साल 2012 में एक स्टडी और की, जिसमें उन्होंने चेक गणराज्य के प्रेडमोस्ती से मिले कुत्ते की खोपड़ी की उम्र पता की. यह 27 हजार साल पुरानी थी. वहीं रसियन एकेडमी ऑफ साइंसेज की साइबेरियन शाखा के निकोलाई ओवोडोव ने हाल ही में साइबेरिया के राजबोनिशिया गुफा से कुत्ते की एक खोपड़ी खोजी जो करीब 29 हजार साल पुरानी है. तब जाकर यह सिद्ध हो पाया कि इंसान कुत्तों को 29 हजार साल से लेकर 32 हजार साल के बीच से पाल रहे हैं.
हालांकि, कुछ स्थानों पर मिले अवशेषों और अन्य प्राचीन वस्तुओं की एनालिसिस से पता चलता है कि इंसानों ने जंगली भेड़ियों और कुत्तों में अंतर तो खोज लिया था. लेकिन मानते दोनों को थे. प्रेडमोस्ती में मिले कुत्ते की खोपड़ी में जबड़े और क्रेनियम का जुड़ाव अलग प्रकार का था. जो कि धीरे-धीरे आधुनिक कुत्तों के साथ बदलता चला गया. पुराने अवशेषों से पता चलता है कि उस समय के इंसान शिकारी कुत्तों को महत्व ज्यादा देते थे. उनके मरने पर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया काफी शानदार होती थी.
प्राचीन कलाकृतियों में भी कुत्तों के बारे में जानकारियां कम दिखाई देती हैं. अब तक जितने में प्राचीन कुत्तों की खोपड़ियां मिली है, उनमें से 40 फीसदी के क्रेनियम और जबड़े का जुड़ाव भेड़ियों जैसा था. लेकिन इनके जबड़ों में दोनों तरफ एक खास तरह का छेद मिला, जिसे देखकर लगता है कि इंसान जिस तरह बैलों के नथुनों में रस्सी डालकर उन्हें नियंत्रित करते है, उसी तरह इन छेदों के जरिए कुत्तों को भी बांधकर नियंत्रित किया जाता रहा होगा.
स्टडी में पता चला है कि प्राचीन काल में जब इंसानों ने कुत्तों को पालना शुरु किया, तब उनका वजन करीब 32 किलोग्राम और कंधे की ऊंचाई कम से कम 61 सेंटीमीटर होती थी. यानी आज के आधुनिक जर्मन शेफर्ड के बराबर. ये कुत्ते पालतू तो थे ही बल्कि शिकार करने में भी मदद करते थे.