रोम: खुद को किसी खतरे से बचाने के लिए हर जानवर के पास अपना कोई न कोई तरीका होता है. आज बात कर रहे हैं चमगादड़ों की, जिनके बारे में वैज्ञानिकों ने बहुत ही अनोखी चीज़ खोजी है. वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कुछ चमगादड़ बड़ी सफाई से मिमिक्री करते हैं.
जब चमगादड़ों के लगता है कि उन्हें शिकारियों से खतरा है, तो वे ततैया या बर्र (Hornets) की तरह भिनभिनाने जैसे आवाजें निकालते हैं. ऐसा करके वो इस तरह का आभास कराने की कोशिश करते हैं कि वे कहीं ज्यादा खतरनाक हैं.
ऐसा पहली बार है कि स्तनधारियों में इस तरह का व्यवहार दर्ज किया गया है. लेकिन जानवरों की बाकी प्रजातियों में ऐसा होता है. जैसे कि पतंगों के पंख इस तरह दिखाई देते हैं जैसे कि वह कीट वास्तव में एक अलग और बेहद खतरनाक प्रजाति का हो. इस तरह की नकल के लिए एक तकनीकी शब्द है- बेट्सियन मिमिक्री (Batesian Mimicry).
इटली में नेपल्स यूनिवर्सिटी II (Università degli Studi di Napoli Federico II in Italy) के इकोलॉजिस्ट डैनिलो रूसो (Danilo Russo) का कहना है कि बेट्सियन मिमिक्री में, गैर हमलावर प्रजाति वाले जानवर, शिकारियों से बचने के लिए हमलावर प्रजातियों की नकल करते हैं. जब कोई चमगादड़ इस तरह कहीं फंस जाता है, तो ऐसी आवाज़ निकालकर वो कुछ सैकंड के लिए शिकारी को धोखा दे सकता है. और इतना समय उसके उड़ने के लिए काफी होती है.
करंट बायोलॉजी में प्रकाशित हुए शोध में लिखाय गया है कि डैनिलो रूसो ने चूहे जैसे कान वाले चमगादड़ों (Myotis myotis) को गौर से देखा. जब भी शोधकर्ता जाल में फंसे चमगादड़ों को पकड़ते, तो वे भिनभिनाने लगते थे. ऐसा लग रहा था कि यह किसी तरह की खतरे वाली कॉल (Distress Call) है.
इस तरह के भिनभिनाने की मिमिक्री की तुलना शोधकर्ताओं ने सामाजिक हाइमनोप्टेरान कीड़ों (Hymenopteran Insects) जैसे ततैया और मधुमक्खियों से की. फिर उन्होंने इन आवाजों को चमगादड़ खाने वाले शिकारियों को सुनाया जैसे जंगली उल्लू. शोधकर्ताओं ने पाया कि स्पीकर से दूरी बढ़ाने पर, उल्लुओं ने चमगादड़ की भिनभिनाहट पर उसी तरह प्रतिक्रिया दी जैसी हाइमनोप्टेरान को देते हैं.
यह हो सकता है कि यह मिमिक्री चमगादड़ों और कीड़ों के एक ही जगह रहने की वजह से विकसित हुई हो, लेकिन इस तरह की आवाजों की मिमिक्री करना दुर्लभ है. और खुद को बचाने के लिए चमगादड़ों का दूसरी प्रजाति से इसे सीखते हुए देखना बेहद दिलचस्प है.