पृथ्वी से टकराया ऐस्टरॉइड तो आएगी खतरा, आपातकालीन प्लान बनाने के लिए जुटेंगे विशेषज्ञ
धरती से ऐस्टरॉइड के टकराने की आशंकाओं के बीच विशेषज्ञों ने आगाह किया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: लंदन । धरती से ऐस्टरॉइड के टकराने की आशंकाओं के बीच विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अगर ऐसा संकट कभी आता है तो इससे न केवल तबाही आएगी बल्कि दुनिया में मानवाधिकारों का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर ऐस्टरॉइड के टकराने का खतरा मंडराता है तो इससे विश्वभर में शरणार्थियों का बड़ा संकट शुरू हो जाएगा और लोग यूरोप तथा अमेरिका को छोड़कर एशिया, पश्चिम एशिया और प्रशांत महासागर की ओर जा सकते हैं।
इसी खतरे को देखते हुए अंतरिक्ष विशेषज्ञ इस महीने एक साथ आ रहे हैं ताकि ऐस्टरॉइड के धरती से टकराने की सूरत में एक आपातकालीन प्लान बनाया जा सके। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हमें न केवल ऐस्टरॉइड के टकराने के शुरुआती असर से निपटने की तैयारी करनी होगी बल्कि उसके बाद पैदा होने वाले मानवाधिकारों के संकट से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
पूरी दुनिया में शरणार्थी संकट पैदा हो जाएगा
वियना में आगामी 26 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच में प्लेनेटरी डिफेंस कॉन्फ्रेंस होने जा रहा है। इस बैठक में अंतरिक्ष मामलों के विशेषज्ञ यह चर्चा करेंगे कि अगर कोई ऐस्टरॉइड जैसी चीज धरती के पास वास्तविक रूप से आती है तो उसे लेकर क्या करना चाहिए। वैज्ञानिकों एक कल्पना के ऐस्टरॉइड की मदद से अपनी तैयारियों को परखेंगे। साथ ही उससे बचाव के तरीकों पर काम करेंगे।
इस दौरान वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश करेंगे कि यह ऐस्टरॉइड धरती के किस हिस्से से टकराएगा। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि किसी छोटे ऐस्टरॉइड के टकराने से कुछ किलोमीटर तक और अगर कोई बड़ा ऐस्टरॉइड टकराता है तो उसका असर कई सौ किलोमीटर तक हो सकता है। उनका कहना है कि अगर हम पहले से तैयारी नहीं करते हैं तो इस विस्फोट में लाखों लोगों की जान जा सकती है। तटीय इलाकों में बाढ़ आ सकती है। इससे पूरी दुनिया में शरणार्थी संकट पैदा हो जाएगा। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अमेरिका और यूरोप में ऐस्टरॉइड टकरा सकते हैं जिससे एशिया में शरणार्थी संकट पैदा हो सकता है।
यह क्राफ्ट 21 महीने तक ऐस्टरॉइड की मैपिंग करेगा और इसके फीचर्स को स्टडी करेगा। धरती से करीब 37 करोड़ किमी दूर स्थित यह ऐस्टरॉइड करीब 226 किमी चौड़ा है। न सिर्फ इसका आकार विशाल है बल्कि यह धातुओं से इस कदर बना है कि इसे अब तक खोजा गया सबसे मूल्यवान ऐस्टरॉइड माना जाता है। इसे सबसे पहले 1852 में खोजा गया था। हबल टेलिस्कोप को मिले डेटा के आधार पर यह धातु से बना है जबकि ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स में चट्टान या बर्फ ज्यादा होती है। माना जाता है कि इसमें लोहा और निकेल हो सकते हैं। इस आधार पर इसकी कीमत 10,000 क्वॉड्रिलियन डॉलर हो सकती है।
ऐस्टरॉइड 16 Psyche कैसे बना, इसे लेकर एक थिअरी है कि यह किसी अविकसित ग्रह की कोर हो सकता है। इसकी मदद से ऐस्ट्रोनॉमर्स धरती और दूसरे ग्रहों के बनने की प्रक्रिया को समझ सकते हैं। JPL में स्पेसक्राफ्ट का सोलर इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन चैसिस तैयार है जो किसी वैन के आकार है। यह क्राफ्ट का 80% हिस्सा होगा। अगले 1 साल में क्राफ्ट असेंबल हो जाएगा और फ्लोरिडा भेजने से पहले इसे टेस्ट किया जाएगा। नासा का यह मिशन उसके Discovery Program का हिस्सा है। इस प्रोग्राम के तहत कम कीमत के रोबॉटिक स्पेस मिशन तैयार किए जा रहे हैं। क्राफ्ट में ऐस्टरॉइड का चुंबकीय क्षेत्र नापने के लिए मैग्नेटोमीटर, उसकी सतह की तस्वीरें लेने के लिए मल्टिस्पेक्ट्रल इमेजर, सतह किस चीज से बनी है यह देखने के लिए उससे निकलने वाली गामा रेज और न्यूट्रॉन्स के अनैलेसिस के लिए स्पेक्ट्रोमीटर और हाई डेटा-रेट ट्रांसफर लेजर संपर्क के लिए एक्सपेरिमेंटल उपकरण लगे हैं।
इसकी कीमत से यह सवाल उठ सकता है कि इसे धरती पर लाना चाहिए लेकिन अगर ऐसा किया गया तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था तबाह हो सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती पर ऐस्टरॉइड मटीरिअल के बाजार में आने से बेशकीमती धातुओं की कीमत अचानक गिर जाएगी। इस तरह की वस्तुओं का खनन, बिक्री करने वाली सभी कंपनियों की वैल्यू गिरने लगेगी और पूरा बाजार बिगड़ जाएगा। यहां तक कि अगर इस ऐस्टरॉइड का एक टुकड़ा भी धरती पर लाया जाता है तो इसे संभालना मुश्किल होगा।' हालांकि नासा की ऐसी कोई योजना है भी नहीं।
धरती को कितना नुकसान?
वायुमंडल में दाखिल होने के साथ ही आसमानी चट्टानें टूटकर जल जाती हैं और कभी-कभी उल्कापिंड की शक्ल में धरती से दिखाई देती हैं। ज्यादा बड़ा आकार होने पर यह धरती को नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन छोटे टुकड़ों से ज्यादा खतरा नहीं होता। वहीं, आमतौर पर ये सागरों में गिरते हैं क्योंकि धरती का ज्यादातर हिस्से पर पानी ही मौजूद है।
अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है।