हिंद महासागर से 10 हजार फीट नीचे मौजूद है प्राचीन ज्वालामुखी, वैज्ञानिकों ने पहली बार इसकी गहरी आंख को खोजा

हिंद महासागर के नीचे एक प्राचीन ज्वालामुखी मौजूद है

Update: 2021-07-27 12:34 GMT

हिंद महासागर के नीचे एक प्राचीन ज्वालामुखी मौजूद है. वैज्ञानिकों ने पहली बार इस प्राचीन ज्वालामुखी की गहरी आंख को खोजा है. इस आंख को आम भाषा में काल्डेरा कहा जाता है. वैज्ञानिकों ने इसकी खोज के बाद इसकी थ्रीडी मैपिंग की. इसके बाद उन्हें जो मिला वो बिल्कुल द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स के 'आई ऑफ सॉरोन' की तरह दिखने वाली आकृति थी.


वैज्ञानिकों ने कहा कि इस प्राचीन ज्वालामुखी की 'आंख' से एक समय लावा बाहर निकलता होगा. लेकिन समुद्र के नीचे डूबने और इतना प्राचीन होने की वजह से ये अब पूरी तरह से ठंडा पड़ चुका है. वैज्ञानिकों को काल्डेरा के अलावा दो और समुद्री ढांचे भी दिखे हैं. इन्हें टोलकीन्स मिडल अर्थ कहा जाता है.


द कन्वरसेशन के मुताबिक, इस प्राचीन ज्वालामुखी की आंख करीब 6.2 किमी लंबी और 4.8 किमी चौड़ी है. ये काल्डेरा 984 फीट ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है. इस तरह ये देखने में आंखों की पलकों की तरह दिखाई देता है. ये प्राचीन ज्वालामुखी क्रिसमस आइलैंड के दक्षिणपूर्व में 280 किमी दूर स्थित है. क्रिसमस आइलैंड ऑस्ट्रेलिया का हिस्सा है, जो देश के तट से दूर स्थित है. ये ज्वालामुखी 10,170 फीट की गहराई में स्थित है.


इस प्राचीन ज्वालामुखी की खोज ऑस्ट्रेलिया के कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (CSIRO) के वैज्ञानिकों ने की है. ये वैज्ञानिक रिसर्च वेसल इन्वेस्टिगेटर पर समुद्र में गए थे. इस दौरान अपनी यात्रा के 12वें दिन उन्होंने ज्वालामुखी को खोजा. वैज्ञानिकों ने काल्डेरा और आसपास के समुद्र तल का थ्रीडी मानचित्र बनाने के लिए मल्टीबीम सोनार का उपयोग किया.


वैज्ञानिकों के मुताबिक, काल्डेरा का निर्माण ज्वालामुखी के विस्फोट वाले ऊपरी हिस्से के टूटकर खत्म हो जाने के बाद होता है. म्यूजियम्स विक्टोरिया इन ऑस्ट्रेलिया के सीनियर क्यूरेटर और प्रमुख वैज्ञानिक टिम ओ हारा ने द कन्वरसेशन में लिखा कि सतह पर मौजूद पिघला हुआ लावा ऊपर आता है. इससे एक गड्ढे का निर्माण होता है. इसके बाद क्रस्ट टूट जाती है और क्रेटर बनता है.


ज्वालामुखीय क्रेटर के आसपास का क्षेत्र दो अन्य उल्लेखनीय संरचनाओं का भी घर है. ओ हारा ने लिखा कि यहां पर सिर्फ ज्वालामुखी की आंख ही मौजूद नहीं थी. दक्षिण में आगे की मैपिंग से पता चला कि एक छोटा समुद्री पर्वत कई ज्वालामुखीय कोन्स से ढका हुआ है.



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