अमेरिका का मंगल मिशन: न थका, न थमा और न बीमार पड़ा, लाल ग्रह के रहस्यों की परतें ऐसे खोल रहा
नई दिल्ली: अमेरिका का एक मंगल मिशन पिछले 20 साल से लाल ग्रह की जानकारियां दे रहा है. न थक रहा है. न ही थम रहा है. न बीमार पड़ता है. बस सिग्नल के जरिए लाल ग्रह के रहस्यों की परतें खोलता जा रहा है. ऐसी शानदार तकनीक वाले इस अंतरिक्षयान का नाम है मार्स ओडिसी अंतरिक्षयान (Mars Odyssey Spacecraft). काम भी इसने ऐसे-ऐसे किए हैं, जिनके बारे में आप जानकर हैरान रह जाएंगे. ये भारत के मंगल मिशन से किसी भी मामले में कम नहीं है.
अमेरिका ने 7 अप्रैल 2001 को फ्लोरिडा स्थित केप केनवरल एयरफोर्स स्टेशन से मार्स ओडिसी अंतरिक्षयान (Mars Odyssey Spacecraft) को लॉन्च किया गया था. अंतरिक्ष में 9 महीने की जटिल यात्रा करके यह यान 24 अक्टूबर 2001 को मंगल की कक्षा में गया. यानी 24 अक्टूबर 2021 को मंगल ग्रह का चक्कर लगाते हुए इसे 20 साल हो जाएंगे. एक बार इसने मंगल ग्रह की कक्षा को जो पकड़ा, उसने आजतक इसे छोड़ा नहीं है. लगातार काम कर रहा है. तस्वीरें और डेटा भेज रहा है.
मार्स ओडिसी अंतरिक्षयान (Mars Odyssey Spacecraft) ने अपने 20 साल के करियर में मंगल ग्रह के चारों तरफ 88 हजार से ज्यादा चक्कर लगाए हैं. इस दौरान इसने 12 लाख से ज्यादा तस्वीरें धरती पर भेजी हैं. जो कि मंगल ग्रह के बारे में जानकारियों का खजाना हैं. इन खजानों की मदद से वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के बारे में ज्यादा ज्ञान हासिल किया है. नासा के वैज्ञानिक मजाक में कहते हैं कि मार्स ओडिसी को मंगल ग्रह से प्यार हो गया है. वो सिर्फ उसी की तस्वीर लेता है.
इतने सालों से मंगल ग्रह का चक्कर लगाते हुए मार्स ओडिसी ने उसके बाद गए 6 मंगल मिशनों में अमेरिका समेत कई देशों की मदद भी की है. मंगल ग्रह से उसने 16 टेराबाइट डेटा धरती पर भेजा है. ये इतना बड़ा डेटा है कि इतनी स्टोरेज वाले एक्टर्नल हार्ड ड्राइव में आप 120 मिनट की 4000 मूवी डाउनलोड कर सकते हैं. एक टेराबाइट में 3.10 लाख तस्वीरें डाउनलोड हो सकती हैं, 16 टेराबाइट के स्टोरेज में 49.60 लाख तस्वीरें डाउनलोड या सेव कर सकते हैं.
सिर्फ इतना ही नहीं इस अंतरिक्षयान ने मंगल ग्रह पर घूम रहे रोवर्स से 1 टेराबाइट का डेटा रिसीव करके धरती पर पहुंचाया है. मार्स ओडिसी अंतरिक्षयान (Mars Odyssey Spacecraft) करीब 7.2 फीट लंबा है. 5.6 फीट ऊंचा और 2.6 फीट चौड़ा है. इसके सोलर पैनल 18.7 फीट लंबे हैं. इस यान का वजन 729.7 किलोग्राम है.
मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए इसमें पांच यंत्र लगे हैं. जिन्हें पेलोड्स कहा जाता है. ये हैं- थर्मल एमिशन इमेजिंग सिस्टम, गामा रे स्पेक्ट्रोमीटर, न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर, हाई-एनर्जी न्यूट्रॉन डिटेक्टर और मार्शियन रेडिएशन एनवायरमेंट एक्सपेरीमेंट. ये सारे पेलोड्स आजतक सही सलामत काम कर रहे हैं. इसे डेल्टा-2 रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा गया था. यह मंगल ग्रह की कक्षा में उसका एक चक्कर 19 मिनट में लगाता है.
मार्स ओडिसी अंतरिक्षयान (Mars Odyssey Spacecraft) मिशन की कुल लागत साल 2001 में 22,237 करोड़ रुपये थी. इसकी वजह से अमेरिका अपने रोवर्स जैसे- स्पिरिट, ऑर्प्चयूनिटी, मार्स फीनिक्स लैंडर और क्यूरियोसिटी रोवर से संपर्क स्थापित कर पाता है. साथ ही उन्हें निर्देश भेजकर जो काम करना चाहता है वो कर लेता है. यानी धरती से पहले संदेश मार्स ओडिसी को जाता है, उसके बाद यह उन संदेशों को मंगल ग्रह पर मौजूद नासा के रोवर और लैंडर तक भेजता है. फिर उनके संदेश हासिल करके वापस धरती पर भेजता है.
मार्स ओडिसी अंतरिक्षयान (Mars Odyssey Spacecraft) ने मंगल ग्रह से जितनी भी जानकारी भेजी, उसमें सबसे महत्वपूर्ण था मंगल ग्रह पर बर्फ की खोज करना. क्योंकि मंगल ग्रह पर बर्फ मौजूद है. इसी यान ने पहली बार मंगल ग्रह के उत्तरी ध्रुव पर मौजूद बर्फ की तस्वीर भेजी थी. साथ ही जब भी कोई मिशन धरती से मंगल ग्रह के लिए नासा भेजता है. तो वह मार्स ओडिसी की मदद से अगले मिशन की लैंडिंग, वहां के मौसम आदि की गणना करता है.