अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रॉनिक त्वचा का निर्माण, अब स्मार्ट स्किन देंगी रोबोट को मानव स्पर्श का अहसास
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रोबोट मानव सभ्यता के भविष्य का हिस्सा बनने वाले हैं यह तय है. बहस इस बात पर हो सकती है कि कितनी जल्दी ऐसा हो जाएगा. रोबोट में तरह तरह के इंसानी विशेषताएं भरने के प्रयास जारी हैं. वे अब बोल सकते हैं और सुन सकते हैं यहां तक कि वे इंसानों के हाव भाव भी समझने की क्षमता विकसित कर रहे हैं. नई पीढ़ी के मानवों जैसी संवदेना (Human Sensitivity) वाले स्मार्ट रोबोट (Smart Robot) विकिसत करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई तरह की इलेक्ट्रॉनिक त्वचा (Electronic Skin) विकसित कर ली है. इस ई-त्वचा में दर्द को पहचानने की भी क्षमता सीख सकता है
खास तरह का तंत्र
यह विशेष त्वचा को विकसित करने का काम ग्लासगो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है. इस त्वता को उन्होंने कम्प्यूटेशनल इलेक्ट्रॉनिक स्किन नाम दिया है. यह मूलतः एक तरह की कृत्रिम त्जा है जिसमें नए प्रकार का प्रक्रिया तंत्र लगाया गया है. यह तंत्र साइनेप्टिक ट्रांजिस्टर्स पर आधारित है. जो बिलकुल मस्तिष्क के तंत्रिका पथों की ही तरह काम करता है. जिससे रोबोट दर्द के अहसास करना सीख सकता है.
त्वचा में ही प्रतिक्रिया की क्षमता
इस शोध में दर्शाया गया है कि इस त्वचा में बाहरी उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रिया सीखने की क्षमता भी है. अभी तक वैज्ञानिक लंबे समय से रोबोट के लिए स्पर्श संवेदी कृत्रिम त्वचा को विकसित करने पर वर्षों से काम कर रहे थे. इसमें सबसे ज्यादा काम सतह पर संपर्क या दबाव सेंवदना संबंधी पद्धतियों पर हुआ है.
पुराने सेंसर की समस्या
जब भी ये सेंसर किसी वस्तु के संपर्क में आते हैं, ओ कम्प्यूटर को आंकड़े भेजते हैं जो इस जानकारी को संसाधित करता है और फिर प्रतिक्रिया देता है. यह देखने में तो स्मार्ट लगता है, लेकिन इस पद्धति से प्रतिक्रिया में देरी हो जाती है जो विस्तविक दुनिया के क्रियाकलापों के लिए त्वचा का कारगरता को कम ही करता है.
Robots, Robotics, Skin Touch, Human touch, touch Sensitivity, Glasgow University, computational electronic skin, electronic skin, E-Skinअपने अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने मानव तंत्रिका तंत्र (Nervous System) की कार्यप्रणाली से सहायता ली. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
क्या समाधान निकाला इस समस्या का
इस समस्या से उबरने क लिए ग्लासगो के शोधकरर्ताओं ने मानवों के सतही तंत्रिका तंत्र के त्वचा से संकेत लेकर उनका अर्थ निकलाने की प्रेरणा ली और देरी और ऊर्जा खपत जैसे समस्याओं से छुटकारा पाया. जब भी हमारी त्वचा का किसी उत्तेजना पैदा करने वाले पदार्थ से होता है, हमारा सतही तंत्रिका तंत्र उसके संपर्क बिंदु पर संसाधित करना शुरू कर देते है. इससे वह दिमाग तक पहुंचाने वाली जरूरी सूचना में तब्दील कर देता है.
क्या फायदा होता है इससे
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्थानीय स्तर पर सीखने का विचार बहुत सारे संवेदी आंकड़ों को कम कर देता है. कम आंकड़ों के होने से संचार नलिकाओं का कारगर उपयोग होता है और हमारा दिमाग स्पर्श संवदेना का जल्दी अनुभव कर लेता है यानि स्पर्श की जानकारी जल्दी हासिल कर लेता है.
Robots, Robotics, Skin Touch, Human touch, touch Sensitivity, Glasgow University, computational electronic skin, electronic skin, E-Skinशोधकर्ताओं कृत्रिम त्वचा (Skin) पर स्थानीय स्तर की संवेदनशीलता प्रणाली लगाई. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
एक खास तरह की ग्रिड
इसी विचार के साथ प्रोफेसर रविंदर दाहिया की अगुआई में बेंडेबल इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेंसिंग टेक्नोलॉजी (BEST) समूह ने ऐसे प्रतिमान पर काम किया जो इंसानों में संवेदी तंत्रिकाओं के कार्यों की तरह ही काम कर सके. विशेषज्ञों ने जिंक ऑक्साइड नौनोवायर की बनी 168 सिनैप्टिक ट्रांजिस्टर की ग्रिड बनाई और उसे सीथे लचीली प्लास्टिक सतह पर लगा दिया.
इसके बाद उन्होंने एक मानवीय आकार का रोबोटिक हाथ में त्वचा संवेदी सिनैप्टिक ट्रांजिस्टर लगाया जब रोबोटिक हाथ जैसे ही कुछ छूता था, हाथ अपने आप ही पीछे हट जाता था. रोबोट की प्रति क्रिया भी उत्तेजना की तीव्रता पर निर्भर थी. दहिया ने बताया कि उनका मानना है कि उनका यह कदम विशाल स्तर पर न्यूरोमॉर्फिक प्रिंटेड इलेक्ट्रॉनिक त्वचा को बड़े पैमाने पर बनाने की दिशा में क वास्विक कदम है.