वॉशिंगटन। अमेरिका के एक पूर्व एयरफोर्स के पायलट ने दावा किया है कि सरकार के पास एलियन है, लेकिन वह इसे छुपा रही है। गौरतलब है कि अमेरिका में यूएफओ देखने से जुड़ी घटनाएं कई बार सामने आती रही हैं। अमेरिका में इससे जुड़ा एक विभाग भी है। लेकिन अब मांग की जा रही है कि सरकार के पास जो जानकारी है, उसमें और भी ज्यादा पारदर्शिता लाई जाए। अमेरिकी सेना के तीन रिटायर्ड अधिकारियों ने यूएफओ से जुड़ी घटनाओं पर सदन में होने वाली सुनवाई में गवाही दी। इसके साथ उन्होंने कहा कि इन्हें देखा जाना राष्ट्रीय सुरक्षा की समस्या है और सरकार उनके बारे में बहुत गुप्त रही है। कांग्रेस की एक ओवरसाइट उपसमिति ने बुधवार को यूएफओ पर सुनवाई रखी थी। इस सुनवाई के लिए दबाव डालने वाले सांसदों ने सरकार से यूएफओ को लेकर और भी ज्यादा पारदर्शी होने को कहा था। इस दौरान अमेरिका के पूर्व नौसेना पायलट रयान ग्रेव्स ने कहा कि अगर यूएफओ विदेशी ड्रोन हैं तो यह तत्काल राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है। अगर यह कुछ और हैं तो विज्ञान का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि किसी भी मामले में अमेरिका के आसमान में उड़ने वाली अज्ञात वस्तुएं उड़ान सुरक्षा के लिए एक चिंता का विषय हैं। बता दें कि हवा में उड़ने वाली किसी भी अज्ञात चीज को सरकार यूएपी कहती है।
हाल के वर्षों में दिखे यूएपी पर सरकार ने रिपोर्ट जारी की है। कुछ चीजों को सरकार अभी समझ नहीं सकी है। वहीं कुछ चीजों को गुब्बारा या प्लास्टिक के साथ-साथ ड्रोन, चिड़िया या मौसम की घटना बताया गया है। अमेरिकी नौसेना के रिटायर्ड कमांडर डेविड फ्रैवर और ग्रेव्स ने सेना में सर्विस के दौरान यूएपी देखे जाने के बारे में गवाही दी। वायुसेना के पूर्व खुफिया अधिकारी डेविड ग्रुश ने आरोप लगाया कि सरकार ने यूएपी देखे जाने के मामलों से जुड़े अपने रिसर्च को छिपाया है। अमेरिका इन यूएपी की रिवर्स इंजीनियरिंग कर रहा है। ग्रुश ने यह भी दावा किया कि सरकार के पास यूएपी ही नहीं, बल्कि इन विमानों से कथित तौर पर बरामद जीवों (एलियन) के अवशेष भी हैं।
हालांकि पेंटागन ने सभी आरोपों से इनकार किया है। सुनवाई के दौरान पूछा गया कि यूएपी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा क्यों हैं, इस पर फ्रैवर ने 2004 में देखी गई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तकनीक का हमने सामना किया है वह हमारे पास मौजूद किसी भी टेक्नोलॉजी से कहीं बेहतर थी। अमेरिका के टेनेसी से रिपब्लिकन प्रतिनिधि टिम बर्चेट ने कहा कि यह सरकारी पारदर्शिका का मुद्दा है।