एक स्टडी में दावा डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने पर हॉस्पिटल में भर्ती होने की संभावना बढ़ी

कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने वाले व्यक्ति की, दूसरे स्ट्रेन से होने वाले संक्रमण के मुकाबले अस्पताल में भर्ती कराने की संभावना दोगुनी हो जाती है

Update: 2021-08-28 07:05 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने वाले व्यक्ति की, दूसरे स्ट्रेन से होने वाले संक्रमण के मुकाबले अस्पताल में भर्ती कराने की संभावना दोगुनी हो जाती है. एक नए ब्रिटिश स्टडी में यह सामने आया है. डेल्टा वेरिएंट सबसे पहले ब्रिटेन में पाए गए अल्फा वेरिएंट की तुलना में बहुत अधिक आसानी से फैलता है. भारत में भी कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर के लिए डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) को जिम्मेदार माना गया है.

ब्रिटेन में यह स्टडी मार्च और मई के बीच 40,000 से ज्यादा लोगों पर की गई, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई थी. स्टडी में डेल्टा वेरिएंट (सबसे पहले भारत में पाया गया) और अल्फा वेरिएंट से संक्रमित लोगों के अस्पताल में भर्ती कराने की जोखिम को लेकर तुलना की गई. इस अध्ययन के नतीजे भी स्कॉटलैंड की स्टडी के समान थे, जिसमें कहा गया था कि डेल्टा वेरिएंट के कारण अस्पतालों में ज्यादा लोगों को भर्ती होना पड़ा है.

स्टडी के मुख्य लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के स्टैटिशियन एनी प्रीसैनिस ने बताया, "हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि वैक्सीनेशन नहीं होने की स्थिति में, डेल्टा वेरिएंट, अल्फा वेरिएंट की तुलना में स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक बोझ डालेगा." यह स्टडी लैंसेट में प्रकाशित की गई है. यह जीनोम सीक्वेंसिंग द्वारा कोविड-19 के मामलों का विश्लेषण करने वाला सबसे बड़ा अध्ययन था.

फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के खिलाफ कम प्रभावी डेल्टा वेरिएंट

हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के नेतृत्व में हुई एक स्टडी में यह भी दावा किया था कि फाइजर और एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 वैक्सीन कोरोना वायरस के अल्फा वेरिएंट की तुलना में डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कम प्रभावी हैं. हालांकि, रिसर्चर्स ने कहा कि फाइजर बायोएनटेक और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन जिसे कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है, डेल्टा स्वरूप के साथ ही नए संक्रमणों के खिलाफ अब भी बेहतर सुरक्षा उपलब्ध कराते हैं.

उन्होंने कहा कि दोनों में किसी भी वैक्सीन की दोनों डोज अभी भी कम से कम उसी स्तर की सुरक्षा प्रदान करती हैं जैसे प्राकृतिक संक्रमण के माध्यम से पहले कोविड-19 होने के बाद मिलती है. रिसर्चर्स ने 1 दिसंबर, 2020 और 16 मई, 2021 के बीच 18 साल या उससे अधिक उम्र के 3,84,543 लोगों से नाक और गले से रूई के फाहे से लिए गए 25,80,021 सैंपल के परीक्षण परिणामों का विश्लेषण किया था.

भारत में सबसे चिंताजनक है डेल्टा वेरिएंट- INSACOG

जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भारतीय लैब के समूह ''इंडियन SARS CoV2 जीनोमिक कंसोर्टियम'' (INSACOG) ने कहा था कि भारत में कोविड-19 का संक्रमण फैलने की मुख्य वजह डेल्टा वेरिएंट, संक्रमण के लिहाज से संवेदनशील आबादी और संक्रमण रोकने में टीके का प्रभाव कम होना हैं. उसने कहा था, "भारत में संक्रमण के सामने आए मामलों में डेल्टा स्वरूप के मामले अधिक हैं. यह वेरिएंट इस समय भारत में सबसे प्रमुख चिंताजनक वेरिएंट है."

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