1000 साल पहले अंतरिक्ष में एक रहस्यमयी रोशनी देखी गई , वैज्ञानिकों का कहना है ये तीसरे तरह का सुपरनोवा विस्फोट का सबूत
1000 साल पहले अंतरिक्ष में एक रहस्यमयी रोशनी देखी गई
ब्रह्मांड (Universe) में जब किसी तारों की 'मौत' (Star Death) होती है तो आमतौर पर एक जोरदार धमाका होता है, जिसे सुपरनोवा (Supernova) के रूप में जाना जाता है. करीब 1000 सालों तक ऐसी ही एक घटना एस्ट्रोनोमर्स के लिए एक अनसुलझी पहेली बनी हुई थी. वहीं, अब माना जा रहा है कि इस पहेली को सुलझा लिया गया है. वास्तव में नेचर एस्ट्रोनोमी (Nature Astronomy) की माने तो क्रैब नेबुला (Crab Nebula) का जन्म एक तारे में हुए विस्फोट के बाद हुआ. लेकिन ये घटना किसी तारे के विस्फोट या सफेद बौने तारे में थर्मोन्यूक्लियर विस्फोट के कारण नहीं हुई थी. बल्कि इसके पीछे एक तीसरी वजह थी, जिसके बारे में जाना जाना बाकी था.
वहीं, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (University of California) के वैज्ञानिकों ने एक नए प्रकार के सुपरनोवा (Supernova in Space) की खोज की है. इसे इलेक्ट्रॉन कैप्चर सुपरनोवा (Electron Capture Supernova) नाम दिया गया है. अभी तक इसके बारे में बेहद ही कम सबूत मिले हैं. लेकिन कई रिपोर्ट्स से इस बात की जानकारी मिली है कि 1054 ईस्वी में प्रकाश की एक झलक थी, जो 'सुपर-एसिम्प्टोटिक जायंट ब्रांचेज' (Super-asymptotic giant branches) (SAGB) की कैटेगरी में एक तारे के विस्फोट से निकली होगी.
तीसरे तरह का सुपरनोवा कैसे होता है?
1980 में टोक्यो यूनिवर्सिटी (University of Tokyo) ने तीसरे तरह के सुपरनोवा का सिद्धांत पेश किया. कहा गया कि तीसरे तरह के सुपरनोवा के कोर में ऑक्सीजन, नियोन और मैग्नीशियम की मौजूदगी होगी. इस दौरान इसमें मौजूद न्यूक्लियस एक दूसरे से टकराते होंगे, जिसे इलेक्ट्रोन कैप्चर (Electron capture) का नाम दिया गया. जब इलेक्ट्रोन रिलीज होते थे, तो तारे का कोर अपने वजन से ही बिखर जाता था और फिर इसमें विस्फोट होता था.
कहां खोजा गया ये सुपरनोवा?
वैज्ञानिकों का मानना है कि उन्हें पृथ्वी से 3.1 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर आकाशगंगा NGC-2146 में 2018zd सुपरनोवा विस्फोट में तीसरी कैटेगरी के सबूत मिले हैं. यह खोज सांता बारबरा (Santa Barbara) में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के ग्रेजुएट छात्र दाइची हिरामात्सु (Daiichi Hiramatsu) द्वारा की गई है. इस विस्फोट में पाई जाने वाली विशेषताओं के प्रकार और इसकी रासायनिक संरचना के आधार पर इसे एक इलेक्ट्रॉन-कैप्चरिंग सुपरनोवा (Electron-capturing supernova) माना जाता है.