प्रदूषण के कारण एक साल में 90 लाख मौतें, सर्वाधिक भारत में

Update: 2022-05-18 09:54 GMT

नई दिल्ली: प्रदूषण (Pollution) खतरनाक है, सेहत के लिए अच्छा नहीं है. ये बातें हम सब जानते हैं. लेकिन प्रदूषण से हर साल जितनी मौतें होती हैं, वे हमें आगाह करने के लिए काफी हैं. एक नई स्टडी के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर एक साल में 90 लाख मौतों के लिए, सभी तरीके का प्रदूषण जिम्मेदार है. इसमें कारों, ट्रकों और उद्योगों की दूषित हवा से मरने वालों की संख्या, 2000 के बाद से 55% तक बढ़ गई है. 

द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ (The Lancet Planetary Health) जर्नल में प्रकाशित एक नए शोध के मुताबिक, कुल प्रदूषण से होने वाली मौतों के लिए अमेरिका (America) शीर्ष 10 देशों में अकेला पूरी तरह से औद्योगिक देश है, जो 2019 में प्रदूषण से होने वाली 142,883 मौतों के साथ 7वें स्थान पर रहा, छठे स्थान पर बांग्लादेश और 8वें पर इथियोपिया है.
यह शोध ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज डेटाबेस (Global Burden of Disease database) और सिएटल के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (Institute for Health Metrics and Evaluation) से मिले डेटा पर आधारित है. भारत और चीन प्रदूषण से होने वाली मौतों के मामले में दुनिया में सबसे आगे हैं. भारत में हर साल करीब 24 लाख और चीन में 22 लाख लोगों की मौत प्रदूषण से होती है. हालांकि, ये दोनों ही देश दुनिया के सबसे बड़ी आबादी वाले देश भी हैं. 
अध्ययन में कहा गया है कि प्रदूषण से दुनिया भर में एक साल में उतनी ही मौतें होती हैं, जितनी सिगरेट पीने और पैसिव स्मोकिंग से होती हैं. बॉस्टन कॉलेज में ग्लोबल पब्लिक हेल्थ प्रोग्राम एंड ग्लोबल पॉल्यूशन ऑब्जर्वेटरी के निदेशक फिलिप लैंड्रिगन (Philip Landrigan) का कहना है कि 90 लाख मौतें कम नहीं होतीं. बुरी खबर यह है कि यह कम नहीं हो रहीं. हम बाकी चीजों पर ध्यान देते हैं, लेकिन वायु प्रदूषण और रासायनिक प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है, इसे ऐसा नहीं होना चाहिए. 
जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (George Washington University School of Public Health) की डीन डॉ लिन गोल्डमैन (Dr Lynn Goldman) का कहना है कि ये रोकी जा सकने वाली मौतें हैं. हर व्यक्ति जिसकी भी मौत हुई है वह गैरज़रूरी थी. फिलिप लैंड्रिगन का कहना है कि इन मौतों के प्रमाण पत्र में मौत का कारण प्रदूषण नहीं है. वे हृदय रोग, स्ट्रोक, फेफड़ों के कैंसर, फेफड़ों की दूसरी बीमारियों और डायबेटीज़ से संबंधित हैं. 
शोधकर्ताओं ने सभी मौतों के कारणों को देखा और फिर ये देखा कि वे प्रदूषण के कितने संपर्क में थे और फिर महामारी विज्ञान (epidemiological studies) के पछले कई दशकों के अध्ययन की गणनाओं को देखा गया. इसी तरह की गणनाओं के आधार पर ही वैज्ञानिक यह कहते हैं कि सिगरेट कैंसर और हृदय रोग से होने वाली मौतों का कारण बनती है. 
वैज्ञानिकों का कहना है कि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने एक दशक पहले यह बताया था कि जीवाश्म ईंधन के जलने से पैदा होने वाले प्रदूषण के छोटे कण हृदय रोग और मृत्यु के लिए जिम्मेदार हैं. लोग अपने ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कम करने पर ध्यान दे रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि वायु प्रदूषण को दूर करना उनके दिल के लिए ज्यादा बेहतर है.
वायु प्रदूषण से बड़े शहर ज्यादा परेशान हैं. हर तरह के वाहन, उद्योग, सब प्रदूषण बढ़ाने में योदगान देते हैं. शहर जैसे-जैसे विकसित होते हैं, प्रदूषण भी वैसे-वैसे बढ़ता जाता है. एडवोकेसी ग्रुप सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट नई दिल्ली की निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी कहती हैं कि वायु प्रदूषण दक्षिण एशिया में मौत का प्रमुख कारण है, जिसके बारे में पहले से पता है, लेकिन इन मौतों में हो रही वृद्धि का मतलब है कि वाहनों और ऊर्जा उत्पादन से विषाक्त उत्सर्जन (Toxic Emissions) बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह डेटा बता रहा है कि सबकुछ ठीक नहीं है, और इसे ठीक करने का यही एक मौका है
विशेषज्ञों का कहना है कि जो इलाके सबसे गरीब हैं वहां प्रदूषण से होने वाली मौतें बढ़ रही हैं. हेल्थ इफैक्ट इंस्टिट्यूट (Health Effects Institute) के अध्यक्ष डैन ग्रीनबाम (Dan Greenbaum) का कहना है कि यह समस्या दुनिया के उन इलाकों में सबसे खराब है, जहां जनसंख्या सबसे ज्यादा है, जैसे कि एशिया. साथ ही, जहां प्रदूषण से निपटने के लिए वित्तीय और सरकारी संसाधन सीमित हैं. 
शोध में कहा गया है कि 2000 में, औद्योगिक वायु प्रदूषण ने विश्व स्तर पर हर साल करीब 29 लाख लोगों की जान ली है. 2015 तक यह संख्या 42 लाख पहुंच गई और 2019 में 45 लाख. घरेलू वायु प्रदूषण से 2019 में 67 लाख लोगों की जान गई. सीसा यानी लेड से होने वाले प्रदूषण की वजह से एक साल में 9 लाख लोगों की जान जाती है. यह प्रदूषण पुराने पेंट, रीसाइक्लिंग बैटरी जैसी चीजों से होता है. जल प्रदूषण एक साल में 14 लाख लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार है. इसके अलावा, व्यावसायिक स्वास्थ्य प्रदूषण (Occupational Health Pollution) से 870,000 मौतें होती हैं. 
अमेरिका में, हर साल लेड पॉल्यूशन से करीब 20 हजार लोगों को उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और गुर्दे की बीमारी होती है और उनकी मौत हो जाती है. उन्होंने कहा कि सीसा (Lead) और एस्बेस्टस (Asbestos) अमेरिका के बड़े रासायनिक व्यावसायिक खतरे हैं, और इनके प्रदूषण से एक साल में करीब 65,000 लोगों की मौत हो जाती है. शोध में कहा गया है कि 2019 में अमेरिका में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या 60,229 थी. यह संख्या अमेरिकी सड़कों पर होने वाली मौतों की तुलना में कहीं ज्यादा थी. 


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