ब्रह्माण्ड की शुरुआत के रहस्य खोलेगा 11 अरब साल पुराना सुपरनोवा
हमारे खगोलविदों को ब्रह्माण्ड के इतिहास (History of Universe) के बारे में जानकारी सुदूर पिंडों से आने वाले प्रकाश के जरिए मिलती है क्योंकि वह प्रकाश घटना के होने के समय चलना शुरू करता है
हमारे खगोलविदों को ब्रह्माण्ड के इतिहास (History of Universe) के बारे में जानकारी सुदूर पिंडों से आने वाले प्रकाश के जरिए मिलती है क्योंकि वह प्रकाश घटना के होने के समय चलना शुरू करता है और अब जा कर पृथ्वी तक पहुंचता है. यही वजह है कि उन्नत किस्म के टेलीस्कोप के जरिए हमें अरबों साल पुरानी घटनाओं को जान पाते हैं. हाल ही में हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) ने ग्रैविटेशनल लेंसिंग (Gravitational lensing) के जरिए 11 अरब साल पुराने सुपरनोवा की तस्वीरें कैद की हैं. अबेल 370 गैलेक्सी क्लस्टर में खोजा गया सुपरनोवा अब तक का खोजा गया सबसे पुराना सुपरनोवा है.
तीन अलग-अलग तस्वीर
वास्तव में इस तस्वीरों में तीन अलग-अलग समय के क्रमबद्ध जानकारी मिल रही है जो एक हफ्ते तक धुंधले होने की प्रक्रिया से गुजरता रहा. इस सुपरनोवा की यह कमजोर रोशनी गैलेक्सी क्लस्टर अबेल 370 के पिछले हिस्से से आती दिखाई दी थी. सुदूर इलाके से आती हुई रोशनी रास्ते में आने वाले पिंडों के गुरुत्व के प्रभाव मुड़ जाती है जिससे वह पिंड बहुत बड़े रूप में दिखाई देता है. इस प्रभाव को ग्रैविटेशनल लेंसिंग कहते हैं.
एक समय पर तीन तस्वीरें कैसे
खगोलविदों के लिए अच्छी बात यह है कि इस आने वाले रोशनी से सुपरनोवा को तीन तस्वीरें मिली. इसमें सुपरनोवा के अलग-अलग समय की स्थितियों को हबल को एक ही समय दिखाई थीं. इसमें एक संकेत यह है कि ठंडी होते सुपरनोवा आग का गोला थोड़े अलग-अलग रंग की तस्वीरें दिखाई दीं. ये तस्वीरें अलग-अलग समय आई क्योंकि उनके प्रकाश के द्वारा तय की गईं दूरियां अलग-अलग थीं.
ब्रह्माण्ड के शुरुआत की तस्वीर
नासा के इस हबल स्पेस टेलीस्कोप ने इस तरह से तीन अलग अलग पलों की तस्वीरें एक ही तस्वीर में हासिल की हैं. जब यह तारा विस्फोटित हुआ वह 11 अरब साल पहले का समय था. यह ब्रह्माण्ड के 13.8 अरब साल की वर्तमान उम्र का पांचवा हिस्सा था. वास्तव में यह ब्रह्माण्ड के इतिहास के शुरुआत के पहले विस्तृत सुपरनोवा की तस्वीर है.
एक दुर्लभ अवस्था की तस्वीरें
यह शोध वैज्ञानिकों को शुरुआती ब्रह्माण्ड के तारों और गैलेक्सी के निर्माण के बारे में और ज्यादा जानने के लिए मददगार हो सकते है. इस सुपरनोवा की तस्वीरों इसलिए भी खास हैं क्योंकि ये तस्वीरें तारे के विस्फोट के शुरुआती दौर की हैं. इस अध्ययन के प्रथम लेखक वेनलेई चेन ने बताया कि यह बहुत ही दुर्लभ है कि सुपरनोवा शुरुआती अवस्था में देखा जा सके क्योंकि यह अवस्था बहुत ही कम समय के लिए होती है.
ग्रैविटेशनल लेंसिंग के जरिए
सुपरनोवा की प्रक्रिया की शुरुआती अवस्था केवल कुछ ही घंटों से लेकर कुछ दिन तक चलती है. पास में से देखे जाने के बाद भी यह घटना छूट सकती है. इसी घटना में शोधकर्ता सुपरनोवा की कई अवस्थाएं देखने को मिल गईं. इस घटना का अवलोकन ग्रैविटेशनल लेंसिंग की परिघटना के जरिए संभव हो सका जिसे सबसे पहले अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत के जरिए बताया गया था.
इसी वजह से तीन तस्वीरें एक साथ
सुपरनोवा की यह घटना अबेल 370 गैलेक्सी क्लस्टर के पीछे से आती हुई रोशनी के जरिए दिखाई दी. इस क्लस्टर के शक्तिशाली गुरुत्व के कारण अबेल 370 ने एक तरह के खगोलीय लेंस की तरह काम किया. इससे सुपरनोवा की रोशनी मुड़ी और सुपरनोवा ज्यादा बड़ा दिखाई दिया. इसी वजह से इस विस्फोट की बहुत सी तस्वीरें एक ही फोटो में दिखाई दीं जिसे हबल टेलीस्कोप ने एकही समय पर कैद किया.
क्रेडिट : न्यूज़ 18