भाई को तिलक करने से पहले करें श्रीगणेश और श्रीविष्णु का पूजन, जानें कथा

होली के दो दिन बाद भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं और उसका तिलक करती हैं. भाई दूज पर तिलक करने से पूर्व श्रीगणेश और श्रीविष्णु का पूजन करें और उनके समक्ष भाई दूज की ये कथा जरूर पढ़ें.

Update: 2022-03-19 07:13 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। होली (Holi) का पर्व बीत चुका है. होली के बाद भाई दूज (Bhai Dooj) का पर्व मनाया जाता है. ये पर्व चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस बार होली भाई दूज का त्योहार 20 मार्च रविवार को मनाया जाएगा. ये दिन बहन और भाई के रिश्ते को और मजबूत बनाने का दिन है. इस दिन बहनें अपने भाई की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं, इसके बाद अपने भाई के मस्तक पर तिलक करती हैं. भाई भी बहन के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं और हर परिस्थिति में उनका साथ निभाने का वादा करते हैं. तिलक करने तक बहनें व्रत रखती हैं और तिलक से पहले श्रीगणेश और श्रीहरि की पूजा का विधान है. आप जब इस बार भाई की सलामती के लिए पूजन करें, तो भाई दूज की ये कथा (Bhai Dooj Katha) जरूर पढ़ें.

होली भाई दूज की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक बुढ़िया रहा करती थी. उसकी दो संतानें थीं, एक बेटा और एक बेटी. बुढ़िया ने बेटी का विवाह कर दिया. बहन के विवाह के बाद जब होली भाई दूज का पर्व आया तो भाई ने मां से बहन के घर जाकर तिलक करवाने के लिए कहा. बुढ़िया ने भी हामी भर दी. बेटा जंगल के रास्ते होते हुए बहन के घर जा रहा था. रास्ते में उसे बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ा. पहले एक नदी मिली, नदी बोली मैं तेरा काल हूं, तो बुढ़िया का बेटा बोला, मेरी बहन से तिलक करा लेने दो, फिर प्राण हर लेना. आगे जाकर उसे शेर मिला, उसने शेर से भी यही कहा. इसके बाद एक सांप डसने चला तो उसने सांप को भी ऐसा ही बोला. इसके बाद वो किसी तरह अपनी बहन के घर पहुंचा.
उस समय उसकी बहन सूत काट रही होती है. वो बहन को आवाज लगाता है तो वो उसकी आवाज को अनसुना कर देती है, लेकिन जब भाई दुबारा आवाज लगाता है तो बहन बाहर आ जाती है. इसके बाद भाई बहन से तिलक कराता है और वहां से चल देता है. भाई के चेहरे पर मायूसी देखकर बहन कारण पूछती है, तो वो उसे सारी बात बताता है. उसके बाद बहन कहती है कि कुछ देर रुको भाई, मैं अभी पानी पीकर आती हूं.
इसके बाद वो एक तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती है. वो बुढ़िया को सारी बात बताती है, तब बुढ़िया कहती है कि ये तेरे ही पिछले जन्म का कर्म है जो तेरे भाई को भुगतना पड़ रहा है. अगर तू अपने भाई की शादी होने तक उसकी विपदा को टाल देगी, तो तेरे भाई को कुछ नहीं होगा.
इसके बाद वह अपने भाई के पास जाती है और कहती है कि मैं तुझे घर छोड़ने के लिए चलूंगी. रास्ते में वो शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लेकर जाती है और सबसे किसी तरह अपने भाई को बचा लेती है. इसके बाद भाई का विवाह करवाती है और भाई को सारी बलाओं से बचा लेती है. कहा जाता है कि इस दिन इस कथा को सुनने के बाद ही भाई का तिलक करना चाहिए. इससे भाई पर आयी सारी मुसीबतें टल जाती हैं और उसे लंबी उम्र प्राप्त होती है.


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