प्रदोष व्रत पर इस विधि से करें शिव पूजा, भगवान की कृपा होगी

Update: 2023-06-15 10:39 GMT
सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि हर माह के दोनों पक्षों में पड़ता हैं। ये दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना को समर्पित किया गया हैं ऐसे में हर कोई प्रदोष के दिन भोलेबाबा की भक्ति में लीन रहता हैं।
पंचांग के अनुसार अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाले प्रदोष व्रत को आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत कहा जा रहा हैं जो कि आज यानी 15 जून दिन गुरुवार को मनाया जा रहा हैं प्रदोष व्रत गुरुवार के दिन पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जा रहा हैं इस दिन शिव पूजा करना उत्तम फल प्रदान करती हैं ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि—
आपको बता दें कि गुरु प्रदोष व्रत का व्रत रखने वाले सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर शिव मंदिर जाए और शिवलिंग को गंगाजल, गाय के दूध से स्नान करा कर सफेद चंदन का लेप लगाएं। इसके बाद शिव शंकर को बेलपत्र, अक्षत, भांग, धतूरा, शमी पत्ते, सफेद पुष्प, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें साथ ही माता पार्वती को श्रृंगार की सभी सामर्पित चढ़ाएं।
इसके बाद ओम नमः शिवाय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप जरूर करें साथ ही गुरु प्रदोष व्रत की कथा का संपूर्ण पाठ करें अभी शिव पार्वती की विधिवत आरती करें और उन्हें भोग लगाएं। पूजा के अंत में भूल चूक के लिए क्षमा मांगे और अपनी मनोकामना व प्रार्थना कहें। मान्यता है कि इस विधि से पूजा करने से साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं।
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