आरती के साथ करें शनिदेव की पूजा, होगी पुण्य फलों की प्राप्ति

Update: 2023-08-05 06:45 GMT
सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित होता हैं। वही शनिवार का दिन भगवान श्री शनिदेव की पूजा आराधना के लिए उत्तम माना जाता हैं इस दिन भक्त भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधि विधान से पूजा करते हैं और दिनभर का उपवास आदि भी रखते हैं।
 माना जाता है कि ऐसा करने से शनि महाराज की कृपा प्राप्त होती हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर शनिवार के दिन भगवान श्री शनिदेव की पूजा में उनकी आरती पढ़ी जाए तो इससे उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं और व्रत पूजा का पूर्ण फल भी प्राप्त होता हैं साथ ही शनि महाराज शीघ्र प्रसन्न होकर अपनी कृपा भी करते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान शनिदेव की संपूर्ण आरती पाठ।
 श्री शनिदेव की आरती—
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ।
अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन,
करें तुम्हारी सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर कुपित होउ तुम स्वामी,
घोर कष्ट वह पावे ।
धन वैभव और मान-कीर्ति,
सब पलभर में मिट जावे ।
राजा नल को लगी शनि दशा,
राजपाट हर लेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी,
सकल सिद्धि वह पावे ।
तुम्हारी कृपा रहे तो,
उसको जग में कौन सतावे ।
ताँबा, तेल और तिल से जो,
करें भक्तजन सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
हर शनिवार तुम्हारी,
जय-जय कार जगत में होवे ।
कलियुग में शनिदेव महात्तम,
दु:ख दरिद्रता धोवे ।
करू आरती भक्ति भाव से,
भेंट चढ़ाऊं मेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
 ॥ श्री शनि देव आरती-2 ॥
चार भुजा तहि छाजै,
गदा हस्त प्यारी ।
जय शनिदेव जी ॥
रवि नन्दन गज वन्दन,
यम अग्रज देवा ।
कष्ट न सो नर पाते,
करते तब सेवा ॥
जय शनिदेव जी ॥
तेज अपार तुम्हारा,
स्वामी सहा नहीं जावे ।
तुम से विमुख जगत में,
सुख नहीं पावे ॥
जय शनिदेव जी ॥
नमो नमः रविनन्दन,
सब ग्रह सिरताजा ।
बन्शीधर यश गावे,
रखियो प्रभु लाजा ॥
जय शनिदेव जी ॥
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