हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन शनि जयंती का पर्व बेहद ही खास माना जाता है। ये पर्व शनिदेव की पूजा आराधना को समर्पित होता है। इस त्योहार को शनिदेव के जन्मदिन के तौर पर देशभर में मनाया जाता है। धार्मिक पंचांग के अनुसार शनि जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर पड़ता है।
इस बाद शनि जयंती का त्योहार 19 मई को मनाया जाएगा। इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए विधिवत उनकी पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते है। मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर अपार कृपा बरसाते है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा शनि जयंती पर शनि महाराज की पूजा विधि के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते है।
शनि जयंती की तारीख—
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि का आरंभ 18 मई दिन गुरुवार को सुबह 9 बजकर 42 मिनट से होगी। जिसका समापन 19 मई दिन शुक्रवार की रात्रि 9 बजकर 22 मिनट पर होगा। वही उदया तिथि के अनुसार इस साल शनि जयंती का पर्व देशभर में 19 मई को मनाया जाएगा।
पूजन की विधि—
आपको बता दें कि शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र धाणर करें। इसके बाद भगवान का ध्यान करें। सबसे पहले सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें इसके बाद शनिदेव को सरसों तेल, नीले पुष्प और काला तिल चढ़ाएं। फिर शनिदेव के समक्ष सरसों तेल का दीपक जलाकर ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ इस मंत्र का जाप करें भगवान की विधिवत पूजन करने के बाद उनकी आरती जरूर पढ़ें इसके बाद अंत में शनिदेव से प्रार्थना करें। इस विधि से पूजा आराधना करने से भगवान अतिशीघ्र प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और साधक के सभी कष्टों को दूर कर देते है।