सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन कल्कि जयंती बेहद ही खास मानी जाती हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर कल्कि जयंती मनाई जाती हैं इसी पावन दिन पर भगवान श्रीहरि के दसवें अवतार का जन्म होगा।
इस साल कल्कि जयंती 22 अगस्त दिन मंगलवार को मनाई जा रही हैं इसी दिन सावन का मंगला गौरी व्रत भी रखा जा रहा हैं। मान्यता है कि कल्कि जयंती के पावन पर दिन अगर भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की पूजा आराधना विधि विधान से की जाए तो जीवन के सारे संकट समाप्त हो जाते हैं, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पूजन की विधि और मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
कल्कि जयंती का शुभ मुहूर्त—
पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 22 अगस्त को प्रात: 2 बजे आरंभ हो रही हैं और अगले दिन यानी 23 अगस्त को प्रात: 3 बजकर 5 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में कल्कि जयंती की पूजन का शुभ समय शाम को 4 बजकर 29 मिनट से रात 7 बजकर 1 मिनट तक का हैं मान्यता है कि इस मुहूर्त में भगवान कल्कि की पूजा करने से उत्तम फल प्राप्त होता हैं।
कल्कि जयंती की पूजा विधि—
कल्कि जयंती पर सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद व्रत का संकल्प करें और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें इसके बाद भगवान का जलाभिषेक कर चंदन का तिलक लगाएं और अबीर, गुलाल, पीले पुष्प चढ़ाएं। जय कल्कि जय जगत्पते, पदमापति जय रमापते इस मसंत्र का 108 बार जाप करें और नेवैद्य लगाकर आरती करें। साथ ही अपनी भूल चूक के लिए प्रभु से क्षमा भी मांगे।