नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा, विवाह योग्य कन्याओं के लिए फलदायी है ये पूजा

सभी इन्द्रियों को वश में कर सकता है. साथ ही सच्चे मन से माता की पूजा करने से रोग, शोक और भय से छुटकारा मिलता है.

Update: 2022-03-02 06:04 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा की जाती है. धर्म शास्त्रों की मानें तो ऋषि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण ही माता का नाम कात्यायनी पड़ा. माता को मन की शक्ति की देवी माना जाता है और इनकी उपासना से व्यक्ति अपनी सभी इन्द्रियों को वश में कर सकता है. साथ ही सच्चे मन से माता की पूजा करने से रोग, शोक और भय से छुटकारा मिलता है.

कैसा मां कात्यायनी का स्वरूप?
मां का स्वरूप अत्यंत चमकीला और तेजस्वी है और माता की चार भुजाएं हैं. माता का दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में तथा नीचे वाला वर मुद्रा में है. वहीं बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है. मां कात्यायनी की साधना से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है.
मां कात्यायनी की पूजा का महत्व
नवरात्रि का छठा दिन विशेष तौर पर विवाह योग्य कन्याओं के लिए फलदायी माना जाता है. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार है कि मां कात्‍यायनी की पूजा करने से शादी में आ रही बाधा दूर होती है और भगवान बृहस्‍पति प्रसन्‍न होकर विवाह का योग बनाते हैं. इस दिन सच्चे मन से अगर मां कात्यायनी की विधि विधान से पूजा की जाए तो माता प्रसन्न होकर मनचाहे वर की प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं. मान्यताओं के अनुसार विवाह योग्य कन्याएं श्रृंगार सामग्री और पूजन सामग्री से माता का पूजन कर सकती हैं. इसके अलावा शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा लाभदायक मानी जाती है.
मां कात्यायनी से जुड़ी पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक महर्षि कात्‍यायन की तपस्‍या से प्रसन्‍न होकर आदि शक्ति मां दुर्गा ने उनकी पुत्री के रूप में जन्‍म लिया था. इसलिए उन्‍हें कात्‍यायनी कहा जाता है. कहते हैं क‍ि मां कात्‍यायनी ने ही अत्‍याचारी राक्षस महिषाषुर का वध कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त कराया था.
पूजन विधि और पसंदीदा भोग
माता कात्यायनी की पूजा में लाल या पीले वस्त्र धारण करके पूजा करें. कुमकुम, अक्षत, हल्दी, फूल आदि पूजन सामग्री के साथ देवी मां की पूजा करें. मां को हल्दी की 3 गांठ अर्पित करें फिर उन्हें अपने पास रख लें. माता को पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करना चाहिए. धूप-दीप से मां कात्यायनी की आरती करें और फिर प्रसाद बांटें. मान्‍यता है कि शहद का भोग पाकर मां कात्यायनी प्रसन्‍न होती हैं. इसलिए नवरात्रि के छठे दिन पूजा करते वक्‍त मां कात्‍यायनी को शहद का भोग लगाना शुभ माना जाता है.


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