आमलकी एकादशी व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं महत्त्व

आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है.

Update: 2021-03-16 05:02 GMT

जनता से रिश्ता वेब्डेस्क। हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार, आमलकी एकादशी व्रत हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है. इसे आंवला एकादशी या रंगभरी एकादशी भी कहते हैं. इस साल आमलकी एकादशी का व्रत 25 मार्च 2021 को रखा जाएगा.

पद्म पुराण में कहा गया है कि आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है. हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार, भगवान विष्णु ने आंवले को आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया था. ऐसा माना जाता है कि आंवले के वृक्ष के हर अंग में ईश्वर का वास है. आमलकी एकादशी के दिन आंवला और श्री हरि की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से व्रत रहकर पूजा करने सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी दुःख दूर हो जाते हैं.
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आमलकी एकादशी पूजा विधि
भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद पूजन सामग्री को लेकर आंवले के वृक्ष की पूजा करें. सबसे पहले वृक्ष के चारों ओर सफाई करें. तत्पश्चात गाय के गोबर से लीप कर वृक्ष के चारों ओर पवित्र कर लें. उसके बाद पेड़ के पास बेदी बनाकर कलश की स्थापना करें. कलश में सुगंधी या पञ्च रत्न डालकर ऊपर से आम का पल्लव रखकर दीपक जलाएं. कलश के चारों ओर चंदन का लेप लगाकर वस्त्र पहनाएं.
कलश में सभी देवताओं का आवाहन करें. अंत में कलश पर परशुरामजी की मूर्ति स्थापित कर उनकी विधि-विधान से पूजा करें. रात को भगवत कथा पढ़कर भजन कीर्तन कर भगवान का स्मरण करें. द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन करवा कर दक्षिणा दें, साथ ही परशुराम की मूर्ति सहित कलश ब्राह्मण को भेंट करें. इसके बाद परायण करके अन्न जल ग्रहण करें.
आमलकी एकादशी शुभ मुहूर्त
व्रत का दिन - 25 मार्च 2021
पारण मुहूर्त- 26 मार्च को 06:18:53 से 08:46:12 तक.
पारण की अवधि-2 घंटे 27 मिनट




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