नवरात्र के प्रथम दिन करे माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना

Update: 2022-09-26 02:18 GMT

वरात्र महापर्व के पहले दिन सर्वप्रथम संकल्प लिया जाता है और घटस्थापना की जाती है। इस दिन मां आदिशक्ति के पहले सिद्ध स्वरूप मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा की जाती है। बता दें कि नवरात्र (Navratri 2022) के नौ दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार के कल्याण और उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं क्या मां है शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्र।

जानिए मां शैलपुत्री का स्वरूप (Mata Shailputri Swaroop)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं। इनका जन्म शैल अर्थात पत्थर से हुआ था जिसके कारण इन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। मां अपनी भक्तों की प्रार्थना सुनने बैल पर सवार होकर आती हैं और एक हाथ में कमल का पुष्प व दूसरे में त्रिशूल धारण करती हैं।

मां शैलपुत्री की पूजा विधि (Mata Shailputri Puja Vidhi)

नवरात्र महापर्व के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान कर लें और पूजा घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद एक चौकी स्थापित करें और उसे गंगाजल से सिक्त कर दें। फिर चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और उसपर माता के सभी स्वरूपों को स्थापित करें। इसके बाद मां शैलपुत्री की वंदना करते हुए व्रत का संकल्प लें और सफेद रंग का पुष्प अर्पित करें। इसके बाद अक्षत और सिंदूर अर्पित करें। इस बात का ध्यान रखें कि आप मां शैलपुत्री को सफेद रंग का वस्त्र अर्पित करें और घाय के घी से बने मिष्ठान का भोग लगाएं। अंत में घी का दीपक जलाएं और माता की आरती करें।


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