नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, जानिए भोग और आरती
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप यानी मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। आज तृतीया तिथि दोपहर 1 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप यानी मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। आज तृतीया तिथि दोपहर 1 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी। आज के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। तो आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
मां चंद्रघंटा का स्वरूप काफी अलौकिक है। मां के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है। मां के दस हाथ हैं जिसमें से चार हाथों में कमल फूल, धनुष, जप माला और तीर है। पांचवें हाथ में अभय मुद्रा और अन्य चार हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है। माथे में चंद्र होने के कारण इन्हें चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप मां चंद्रघंटा का है। इनकी पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन विधि-विधान से की जाती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें और साफ सुखे वस्त्र पहन लें। इसके बाद कलश की विधिवत तरीके से पूजा करें। फिर मां दुर्गा और उनके स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा शुरू करें। सबसे पहले देवी मां को शुद्धिकरण के लिए जल चढ़ाएं। इसके बाद फूल, माला सिंदूर और अक्षत क्रमश: ;चढ़ा दें। इसके बाद मां को दूध या इससे बनी चीजों का भोग लगाएं। इसके साथ ही फलों में सेब चढ़ा दें। फिर जल अर्पित करें और घी का दीपक और धूप जलाएं। इसके बाद चंद्रघंटा देवी के मंत्र, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती आदि का पाठ कर लें। अंत में मां दुर्गा सहित अन्य देवी-देवताओं की आरती कर लें।
मां चंद्रघंटा के मंत्र
मां चंद्रघंटा के इस मंत्र का जाप 5, 7 या फिर 11 बार जरूर कर लें।
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुखधाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दाती
चंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली
हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी
'भक्त' की रक्षा करो भवानी