षटतिला एकादशी पर इस तरह करें भगवान विष्णु की पूजा...जानें तिल का महत्व

षटतिला एकादशी का व्रत आज रका जा रहा है। हर वर्ष 24 एकादशियां आती हैं।

Update: 2021-02-07 03:07 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्कषटतिला एकादशी का व्रत आज रका जा रहा है। हर वर्ष 24 एकादशियां आती हैं। हिंदू धर्म में मौजूद सभी व्रतों में से एकादशी के व्रत को श्रेष्ठ माना जाता है। इसे तिल्दा या षटिला एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन तिल का विशेष इस्तेमाल किए जाने का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि इस दिन अगर नहाने के पानी में तिल डालकर फिर स्नान किया जाए तो यह शुभ होता है। इसके अलावा सभी देवी-देवताओं को तिल अर्पित किया जाना बेहद उत्तम है।

एकादशी व्रत पूजा विधि:
यह व्रत दशमी तिथि से ही शुरू हो जाता है। दशमी तिथि से दिन में भोजन करने के बाद भोजन नहीं किया जाना चाहिए।
इस दिन सुबह उठकर सभी नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं और स्नानादि कर लें। इसके बाद पूजाघर को साफ करें।
इसके बाद विष्णु जी का ध्यान कर उनकी पूजा शुरू करें।
गंगाजल में तिल मिलाएं और विष्णु जी का ध्यान करें। इस गंगाजल को चारों दिशाओं में छिड़कें।
विष्णु जी को भी उसी पंचामृत से ही स्नान कराएं जिसमें तिल मिला हुआ है।
विष्णु जी के सामने घी का दीपक प्रज्वलित करें।
धूप-दीप पुष्प से विष्णु की पूजा करें। इस दिन का महातम्य पढ़ें।
फिर उनकी आरती करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
षट्तिला एकादशी पर तिल का महत्व:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, षट्तिला एकादशी को सर्दी के मौसम के समापन का सूचक माना गया है। इसी के चलते इस दौरान तिल के सेवन, दान और इस्तेमाल को प्रमुखता दी गई है। कहा जाता है कि तिल की तासीर गर्म होती है। ऐसे में अगर तिल का इस्तेमाल किया जाए तो यह बेहद फायदेमंद होता है। इस दिन तिल का तिलक लगाना भी शुभ माना जाता है। इसके अलावा श्राद्ध और तर्पण में भी तिल का इस्तेमाल किया जाता है।



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