गणेश जयंती के दिन गणपति की इस विधि से करें पूजा, मिलेगा आशीर्वाद, हर विध्न होंगे दूर

शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था और माघ मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जयंती मनाई जाती है.

Update: 2022-01-31 18:58 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Ganesh Jayanti 2022: माघ मास (Magh Month) के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जंयती (Ganesh Jayanti 2022) के रूप में मनाया जाता है. हिंदू पंचाग के अनुसार गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) की तिथि 4 फरवरी को प्रात: काल 4 बजकर 38 मिनट पर शुरु होगी और अगले दिन यानी 5 फरवरी को देर रात 3 बजकर 47 मिनट पर समापन होगा. इसलिए गणेश जयंती 4 फरवरी (Ganesh Jayanti On 4th February) के दिन मनाई जाएगी. इस दिन भगवान श्रीगणेश (Shri Ganesh Pujan Vidhi) की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था और माघ मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जयंती मनाई जाती है.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान गणेश की पूजा करने से यश, कीर्ति और धन की प्राप्ति होती है. साथ ही भक्तों के सभी विघ्न दूर होते हैं. अगर आप भी बाप्पा की कृपा पाना चाहते हैं, तो गणेश जयंती के दिन इस विधि से पूजा करें.
गणेश जयंती पूजा विधि (Ganesh Jayanti Puja Vidhi)
-धार्मिक मान्यता है कि पूजा के दौरान गणपति को सिर्फ अक्षत और दूर्वा अर्पित करने से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं. इस लिए पूजा में अक्षत और दूर्वा (घास) जरूर शामिल करें.
- मान्यता है कि भगवान गणेश को पीला पुष्प और मोदक बेहद प्रिय हैं. इसलिए इस खास दिन उन्हें पीले पुष्प और मोदक अवश्य भेंट करें.
- शास्त्रों के अनुसार गणेश जी की कृपा पाने के लिए नियमित रूप से उन्हें दूर्वा अर्पित करें. इस बात का ध्यान रखें कि दूर्वा हमेशा गणेश जी के मस्तक पर ही अर्पित करनी चाहिए. इससे गणेश जी बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं.
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- गणेश जयंती पर पूजा-पाठ के बाद गरीबों और असहाय लोगों की सहायता अवश्य करें. ऐसा करने से गणपति प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं.
- भगवान गणेश की निरंतर एकाग्रचित होकर पूजा करने से जीवन में धैर्य का आगमन होता है.
- गणेश जयंती के दिन निम्न मंत्रों का जाप अवश्य करें.
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
इस मंत्र का अर्थ है- हे प्रभु! आप विशालकाल शरीर वाले हैं. और सहस्त्र सूर्य के समतुल्य महान हैं. आप मेरे सभी विघ्नों को हर कर मेरे सभी बिगड़े काम बना दें. अपनी कृपा मुझ पर हमेशा बनाए रखें. इस मंत्र के जाप से व्यक्ति के सभी काम बन जाते हैं.


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