बुध प्रदोष व्रत पर ऐसे करें भोलेनाथ की पूजा, जानें इसकी विधि

प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। आज के दिन यह व्रत किया जाता है।

Update: 2021-03-10 03:29 GMT

 

जनता से रिश्ता वेबडेसक | प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। आज के दिन यह व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। कहा जाता है प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही की जानी चाहिए। इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं। साथ ही जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है। इस बार प्रदोष व्रत और महा शिवरात्रि पड़ने की वजह से ये दो दिन शिव भक्तों के लिए बेहद ही खास रहेंगे। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की पूजा विधि।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि:
इसदिन सुबह सवेरे उठ जाना चाहिए। प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से पौने घंटे यानि 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है।
इस दिन भक्तों को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए। फिर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें और साफ वस्त्र धारण कर लें।
इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें। त्रयोदशी तिथि पर पूरे दिन उपवास किया जाता है।
पूरे दिन उपवास करने के बाद प्रदोष काल में पूजा करनी चाहिए।
भोलेनाथ और माता पार्वती के समक्ष धूप-दीप जलाएं और उनकी आरती करें।
शिव जी को चंदन का तिलक लगाएं और उन्हें पुष्प, अक्षत और नैवेद्य अर्पित करें।
अगर सुहागिन महिलाएं पूजा कर रही हैं तो उन्हें माता पार्वती को लाल चुनरी और सुहाग का सामान अर्पित करना चाहिए।
ध्यान रहे कि इस दिन पूजा करने के लिए कुशा के आसन का ही इस्तेमाल करें।

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