जन्माष्टमी पर ऐसे करें बाल गोपाल की आराधना, जानें मंत्र और पूजा विधि

आज पूरे देश में बाल गोपाल श्रीकृष्ण की जयंती मनाई जा रही है। आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर लोग व्रत रहेंगे और रात्रि के समय में बाल गोपाल का जन्मोत्सव मनाएंगे।

Update: 2021-08-30 03:50 GMT

आज पूरे देश में बाल गोपाल श्रीकृष्ण की जयंती मनाई जा रही है। आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर लोग व्रत रहेंगे और रात्रि के समय में बाल गोपाल का जन्मोत्सव मनाएंगे। विधि विधान से बाल गोपाल श्रीकृष्ण की पूजा करेंगे। मथुरा समेत देश के सभी कृष्ण मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। द्वापर युग में श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। कमोबेश वही योग आज भी बना है, जो जयंती योग से जाना जाता है। आइए जानते हैं कि आज जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कैसे करनी है और उनका जन्मोत्सव कैसे मनाना है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2021 पूजा मुहूर्त
आज जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का मुहूर्त रात 11:59 बजे से देर रात 12:44 बजे तक है।
कैसी हो बाल गोपाल की मूर्ति?
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान के बाल स्वरुप की आराधना की जाती है। आप बाल गोपाल की चांदी, ताँबा, पीतल, वृक्ष, मिट्टी या चित्ररूप की मूर्ति पूजा के लिए स्थापित कर सकते हैं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत एवं पूजा विधि
आज जन्माष्टमी के दिन स्नान आदि से निवृत होकर व्रत और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का संकल्प करें। इसके लिए पूर्व या उत्तर दिशा में बैठें। फिर हाथ में जल, पुष्प और अक्षत् लेकर 'ममाखिलपापप्रशमनपूर्वकसर्वाभीष्टसिद्धये श्रीकृष्णजन्माष्टमीव्रतमहं करिष्ये' मंत्र से संकल्प लें।
फिर दोपहर के समय देवकी जी के लिए सुंदर 'सूतिकागृह' का निर्माण करें। उसमें बाल गोपाल के लिए सुंदर बिछौने की व्यवस्था करें। वहीं पर शुभ कलश की स्थापना करें। इसके बाद रात्रि में श्रीकृष्ण जन्म का मुहूर्त 11:59 बजे से देर रात 12:44 बजे तक है। इसमें विधि विधान से बाल गोपाल के प्रकट होने की कल्पना कर पूजा करें। इस दौरान देवकी और वासुदेव की भी पूजा करें।
श्रीकृष्ण आवाहन मंत्रः
अनादिमाद्यं पुरुषोत्तमोत्तमं श्रीकृष्णचन्द्रं निजभक्तवत्सलम्।
स्वयं त्वसंख्याण्डपतिं परात्परं राधापतिं त्वां शरणं व्रजाम्यहम्।।
पूजा मंत्र'
'धर्माय धर्मेश्वराय धर्मपतये धर्मसम्भवाय गोविन्दाय नमो नम:।' इस मंत्र से श्रीकृष्ण जी को फूल अर्पित करें।
पंचामृत स्नान मंत्र
पंचामृतं मयाआनीतं पयोदधि घृतं मधु।
शर्करा च समायुक्तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
व्रत और पूजा के बाद पारण करके व्रत को पूरा करना होता है। कुछ स्थानों पर लोग जन्माष्टमी पूजा के बाद पारण करते हैं और कुछ लोग नवमी के दिन।


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