गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजा के साथ गुरुओं और माता-पिता को यूं करें प्रणाम

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है, 13 जुलाई 2022 को गुरु पूजन का विधान है. जीवन में ज्ञान का साक्षात्कार करा के जीवन में सुख, संपन्नता, विवेक, सहिष्णुता की प्राप्ति गुरु की कृपा से ही होती है.

Update: 2022-07-13 02:00 GMT

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है, 13 जुलाई 2022 को गुरु पूजन का विधान है. जीवन में ज्ञान का साक्षात्कार करा के जीवन में सुख, संपन्नता, विवेक, सहिष्णुता की प्राप्ति गुरु की कृपा से ही होती है. इस दिन गुरु की वंदना और अभिवादन किया जाता है. महर्षि पराशर के पुत्र वेद व्यास जी का जन्म आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को हुआ था जिन्होंने 18 पुराणों और महाभारत ग्रंथ की रचना की थी. उनके जन्म के कारण ही इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है.

इस लेख में हम पारंपरिक गुरु की महिमा के स्थान पर गुरु तत्व के बारे चर्चा करेंगे. पहले इस शब्द के अर्थ को जान लें. गुरु का अर्थ है कि जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए यानी अज्ञान से ज्ञान की ओर. अब जो तत्व हमें ज्ञानवान बनाता है, वह पूजनीय और वंदनीय तो होगा ही. गुरु तत्व किसी भी रूप में हमारे सामने आ सकता है. जब किसी यात्रा पर जाते हैं और रास्ते का पता नहीं होता है तो मोबाइल पर नेविगेशन को खोलते हैं जो हमें रास्ता दिखाता है. तो यह नेवीगेशन ही उस समय गुरु की भूमिका निभाता है, यही गुरु तत्व है. गुरु तत्व को एक अन्य उदाहरण से समझते हैं, जैसे किसी रास्ते पर जाते हुए आगे की तरफ जलभराव होने का इशारा एक छोटा सा बालक उधर न जाने का संकेत करता है कि आगे रास्ता बंद है तो उस समय वह बालक ही गुरु तत्व है.

गुरु रूप में करें माता पिता को साष्टांग प्रणाम

आज के वैज्ञानिक युग में जो लोग गुरु परंपरा से वंचित हैं या समय के अभाव के कारण अपने पैतृक निवास या मूल स्थान से थोड़ा दूर हैं, तो उनको गुरु की कृपा पाने के लिए परेशान होने की आवश्यकता नहीं है. इस ब्रह्मांड में सर्वप्रथम गुरु तो माता-पिता ही हैं. जन्म लेने के बाद बच्चा सबसे पहले अपनी मां से ज्ञान लेता है. उसके बाद पिता की छाया में वह बढ़ना प्रारंभ करता है. गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातः जल्दी उठ कर दैनिक क्रिया से निवृत होने के बाद सबसे पहले अपने माता-पिता के चरणों में अपना माथा रखें यानी साष्टांग दंडवत प्रणाम करें. यही तो प्रथम गुरु हैं. ऐसा करने से अद्भुत और अलौकिक फल प्राप्त होगा.

मंदिर में देव दर्शन कर प्रभु को भोग लगाएं

इस दिन मंदिर जाकर देव दर्शन करते हुए प्रभु को भोग लगा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें. अपने गुरु को प्रणाम करें और यदि वह साक्षात आपके समक्ष न हों तो उनका ध्यान करके उन्हें मानसिक प्रणाम भेजना चाहिए. स्कूल या कॉलेज के अध्यापक अथवा समाज के अन्य लोग जिनसे आपको किसी न किसी रूप में ज्ञान की प्राप्ति हुई हो उनसे इस दिन मिलकर उपहार देते हुए आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. गरीब ब्राह्मणों को भरपेट भोजन अवश्य कराना चाहिए. संपर्क में कोई निर्धन व्यक्ति हो जिसे वस्त्रों की आवश्यकता हो तो उसे वस्त्र दान में दे सकते हैं.

धर्म ग्रंथ का गुरु रूप में सम्मान करें

गुरु पूर्णिमा पर घर में रखी श्री राम चरित मानस, श्रीमद्भगवद्गीता हो या फिर कोई भी धार्मिक पुस्तक को पूजा स्थल पर रखकर उसमें पुष्प अर्पित कर लाल कपड़े से लपेटें, उनको प्रणाम करिए और थोड़ा समय निकाल कर उसका पाठ करिए, धर्म ग्रंथ तो साक्षात गुरु हैं.

गाय का आशीर्वाद लेना आज बहुत ही आवश्यक है क्योंकि गाय गुरु को रिप्रेजेंट करती है इसलिए गौ माता के समक्ष पहुंच कर उनको भरपेट भोजन कराएं और प्रणाम करके जीवन की जाने अनजाने में की गई गलतियां की क्षमा मांगते हुए आशीर्वाद प्राप्त करें.


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