छठ पूजा में क्यों की जाती है सूर्य देव और छठी मैया की पूजा, जाने इसका इतिहास
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ महापर्व का शुभारम्भ हो जाता है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। छठ पर्व में मुख्य दिन षष्ठी तिथि को माना जाता है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ महापर्व का शुभारम्भ हो जाता है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। छठ पर्व में मुख्य दिन षष्ठी तिथि को माना जाता है। इस वर्ष कार्तिक मास की षष्ठी तिथि 30 अक्टूबर (Chhath Puja 2022 Date) के दिन है। इस दिन डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है और व्रती महिलाएं 24 घंटे से अधिक समय का कठिन निर्जला उपवास रखती हैं। मान्यता है कि यह व्रत रखने से संतान को लंबी आयु और उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद मिलता है, वहीं परिवार में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहती है।
छठ महापर्व में भगवान सूर्य की आराधना के साथ-साथ छठी मैया की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है। बता दें कि छठ पर्व के अंतिम दिन उगते हुए सूर्य और छठी मैया की पूजा के साथ इस व्रत का विधिवत पारण किया जाता है। आइए जानते हैं छठ पर्व में क्यों की जाती है सूर्य देव और छठी मैया की पूजा।
हिन्दू धर्म में भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है क्योंकि सूर्य की उर्जा के कारण ही धरती पर जीवन सुचारु रूप से चल रहा है। लेकिन छठ पर्व में भगवान सूर्य की पूजा क्यों की जाती है, इस प्रश्न का उत्तर महाभारत काल से मिलता है। किवदंतियों के अनुसार दानवीर कर्ण का जन्म भगवान सूर्य देव के वरदान के कारण हुआ था। उन्हीं के आशीर्वाद के कारण उन्हें कवच, कुंडल और वीरता का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था
दानवीर कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। इसलिए प्रतिदिन वह लम्बे समय तक बिना कुछ खाए-पिए और कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य देव की उपासना करते थे। तभी से अर्घ्य दान के लिए इसी परम्परा का पालन किया जाता है। इसके साथ यह भी माना जाता है कि जब पांडव अपना राजपाट जुए में हार गए थे तब द्रौपदी ने छठी मैया की उपासना की थी और छठ व्रत रखा था।
शास्त्रों में बताया गया है कि माता छठी भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं। साथ ही कई जगह इन्हें सूर्य देव की बहन के रूप में भी बताया गया है। माना जाता है कि माता छठी की उपासना करने से संतान को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। संतान प्राप्ति के लिए भी माता छठी की उपासना को बहुत कारगर माना गया है।