16 दिन क्यों चलते हैं श्राद्ध पक्ष, जानिए कारण

पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज धरती पर आते हैं

Update: 2021-10-02 09:37 GMT

 जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इन दिनों पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2021) चल रहे हैं. पितृ पक्ष 16 दिनों के होते हैं. ये भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं. श्राद्ध पक्ष के इन 16 दिनों को पूर्वजों के किए उपकार को चुकाने के दिन माना जाता है. मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज धरती पर आते हैं और श्राद्ध व तर्पण के रूप में अपने वंशजों से भोजन और जल ग्रहण करते हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि 16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha) की परंपरा कैसे शुरू हुई. पौराणिक कथा के अनुसार इसका संबन्ध महाभारत काल के दानवीर कर्ण से माना जाता है. आप भी जानिए इसके बारे में.

ऐसे शुरू हुए 16 दिनों के पितृ पक्ष

पौराणिक कथा के अनुसार मृत्यु के बाद कर्ण को मोक्ष नहीं मिला, उन्हें स्वर्ग पहुंचाया गया. स्वर्ग में उन्हें खूब सोना दिया गया. खाने में भी सोना ही परोसा गया. कर्ण ने जब देवराज इंद्र से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि आपने जीवनभर सोना ही दान किया. पितरों की शांति के लिए कभी कोई अन्य चीज दान नहीं की. इसलिए आपको यहां पर सोना ही दिया जा रहा है. देवराज ने कहा कि जब तक आप पितरों का कर्ज नहीं चुकाते, तब तक आपको मुक्ति नहीं मिल सकती.

इस पर कर्ण ने कहा कि उन्हें पितरों के लिए दान को लेकर कोई जानकारी नहीं थी. इसलिए उन्होंने अपने कर्म को सुधारने के लिए एक मौका मांगा. इसके बाद कर्ण को फिर से 16 दिनों के लिए धरती पर भेजा गया. इन 16 दिनों में कर्ण ने अपने पूर्वजों को याद करके गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न दान किया और पितरों के निमित्त तर्पण किया. ये समय भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक था. तब से इन 16 दिनों को पितरों का ऋण चुकाने वाले दिन माना जाने लगा. हर साल इस मौके पर वंशज अपने पितरों को याद करके तर्पण और श्राद्ध के जरिए जल और भोजन अर्पित किया जाता है.

दान का है विशेष महत्व

पितृ पक्ष में दान का बहुत महत्व है. मान्यता है कि इस दौरान किए कए दान का फल जीवात्मा को स्वर्गलोक में प्राप्त होता है. इस दौरान अपनी सामर्थ्य के अनुसार आप अनाज, वस्त्र, धन, मिष्ठान, सोना, चांदी आदि दान करना चाहिए. साथ ही श्राद्ध पक्ष में इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि यदि कोई भिक्षा मांगने आए तो उन्हें कभी खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए. माना जाता है कि इस समय हमारे पितर किसी भी रूप में धरती पर आ सकते हैं.

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