क्यों मनाई जाती है महेश नवमी

Update: 2023-05-27 16:59 GMT
सनातन धर्म में हर तिथि का कोई ना कोई खास महत्व जरूर होता है. बस किसी का महत्व बहुत होता है तो किसी का कम होता है लेकिन तिथि पर कोई ना कोई पर्व जरूर पड़ता है. ऐसा ही एक महेश नवमी है जिसमें भगवान शंकर की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन अगर आपने विधिवत रूप से महादेव की पूजा कर ली तो आपकी मनोकामनाएं महादेव जरूर पूरी करते हैं. इस व्रत को खासतौर पर संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है लेकिन इसकी विधि को जानकर ही पूजा करना सही रहता है. तो चलिए आपको इस पूजा से जुड़ी तमाम बातें विस्तार से बताते हैं.
क्यों मनाई जाती है महेश नवमी? (Mahesh Navami 2023)
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल की नवमी तिथि को महेश नवमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल महेश नवमी 28 मई 2023 को पड़ रही है. सुबह 9 बजकर 56 मिनट से लेकर 29 मई 2023 की सुबहग 11 बजकर 49 मिनट तक इसकी तिथि रहेगी. महेश नवमी की पूजा 29 मई दिन सोमवार के दिन की जाएगी और ये बहुत ही शुभ दिन माना जाता है. सोमवार के दिन भगवान शंकर की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है. ये पूजा हर साल भगवान शंकर को समर्पित रहती है और इसकी शुभता और धार्मिक महत्वता विशेष मानी गई है. महेश नवमी के दिन भगवान शंकर के रुद्राभिषेक का विशेष महत्व बताया गया है. इस पर्व को संतान प्राप्ति के लिए मनाया जाता है और भी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं.
महेश नवमी पूजा विधि (Mahesh Navami Puja Vidhi)
महेश नवमी के दिन भगवान शंकर की पूजा और व्रत के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठें. स्नान करने के बाद हाथ में गंगाजल लेकर भगवान शंकर की प्रतीमा के सामने व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, दूध, दही, अक्षत, भांग, बेलपत्र, शमीपत्र, भांग और भस्म से करनी चाहिए. इसके साथ ही शिव महिम्न स्तोत्र को भी विशेषरूप से पढ़ना चाहिए. अगर इस दिन रुद्राभिषेक करवा लिया जाए तो भगवान शंकर आपकी पूजा को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करेंगे.
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